कविता~:एक हवेली दिल सी खाली

Sudha Raje
एक हवेली दिल
सी खाली
दर्दों की ज़ागीर लिये
करे हुक़ूमत जिसपे उल्फ़त
ख़्वाबों की ताबीर
लिये
दूर दूर से तोहफ़े लेकर
मिलने आतीं हैं यादें
मुस्कानों की ड्योढ़ी पर
झुकती हैं सिसकती पीर
लिये
एक हवेली दिल
सी खाली दर्दों की ज़ागीर
लिये
उम्मीदों की चिट्ठी लेकर
आते ग़म के हरकारे
गाँव अना के इश्क़
की दहशत
बाग़ी
दम तासीर लिये
एक हवेली दिल
सी खाली
दर्दों की ज़ागीर
लिये
जिसके दम ख़म क़ायम दाईम
अहदे वफ़ा के कंगूरे
दिल दानिस्ता जागे
तन्हा
साँसों की शमशीर लिये
उड़ती चीलें बुर्ज़ के ऊपर
घात लगाये बोटी को
अरमानों की क़ुरबानी पर
रिश्तों की तस्वीर लिये
एक हवेली दिल सी खाली
दर्दों की जाग़ीर लिये
अफ़सानों की खोज में
अक्षर
सैलानी बागानों में
सच्चाई वहशत में लिख्खे
पाँव पङी जंज़ीर लिये
एक हवेली दिल
सी खाली! ""!""
प्यार के सूने रंगमहल के पीछे
सर्द अँधेरों में
प्यासी रूहें शमाँ लिये
गातीं हैं तराने तीर लिये
एक हवेली दिल
सी खाली """""
बीतीं सदियाँ अब तक
डरतीं
खुशियाँ अंदर जाने से
भूले दोस्त मुसाफिर आते
मन्नत को तदबीर लिये
तरह तरह की बातें झूठी
लिख ले जाते सौदाग़र
रेशम रेशम गूँगे आँसू
महलों की तक़दीर लिये
ज©®¶
Sudha Raje
Datia★bjnr

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