लेख: माँ बच्चे को तो बख्त

लगभग आठ वर्ष पूर्व हमने बहुत लिखा था इस पर ,बहुत झगड़े भी लोग और हमने भी घंटों बहस की ,
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सवाल है कि एक माँ का बच्चे को दूध पिलाता हुआ उघड़ा चित्र क्यों सार्वजनिक हो ???
यह नितांत निजी निकट अनन्य नाता है गर्भ में शिशु कौन समझ पाता है ?केवल माँ पल पल हरकत करता धक धक करवट लेता सर सर ,बच्चा महसूसती है ,प्रकृति ने परदे में रखा ,उसे ,और जब तक दांत कुछ स्वयं खाने चबाने लायक नहीं हो जाते तब तक माँ की छाती में दूर सरसराता रहता है ,नहीं तो चाहकर भी नहीं पिला सकती एक बूँद भी कभी बाद में ।
इस
नाते को जब पत्रिका पर ,टीवी पर,फोटो पर ,सिनेमा में ,
उघाड़ डाला जाता है तब
उतना ही अश्लील है जितना प्रसव होते दिखाना या स्त्री को नग्न दिखाना या पति पत्नी का अंतरंग चित्र दिखाना ।
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यहाँ ममता शिशु वात्सल्य के पल चोरी से बिना स्त्री की मरजी के शूट किए हों या स्त्री को उकसा कर ललचाकर अन्य के शिशु के साथ जैसे "राम तेरी गंगा मैली "में दिखाया था ,
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तब अपराध है ,
क्योंकि ध्यान दें बच्चा तनिक भी नहीं चाहता माँ का दूध पीते समय कोई देखे या माँ को स्पर्श तक करे ।
बड़ा भाई बहिन तक वह लतियाता रहता है ,
चार पल का शिशु हो या चार माह का

माँ मान भी ले ?तो क्या शिशु से पूछा था ???????????
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दूध पर उसका हक है माँ के साथ बच्चा माँ की अपनी मनमानी नहीं प्रकृति की मेहरबानी है ,
हम कठोर शब्दों में पूर्ण विरोध करते हैं #स्तनपान #शिशु  #माता #दूधपिलातीमाँ #निर्वस्त्रवक्ष दिखाने का धिक्कार है ,
शोभा डे जैसी प्रसिद्धि लोलुप स्त्रियाँ ,कभी माता बच्चे की इस ममता के नितांत पल को भी बाजारूकरण के लिए चढ़ा देना चाहतीं हैं ,
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काम वासना से भरे हवसी वहशी नंगे मन वालों की गंदी भूखी निगाहों के सामने दूध पिलाती माँ भी केवल ,,,,,,एक भोगनीय वस्तु मात्र बना डालतीं हैं ,
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क्या सब पुरुष उस बच्चे की माँ का वक्ष ""माँ ""के भाव से देखते हैं ??
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यदि नहीं तो तब ,
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उस अबोध स्तनपायी शिशु की माँ को समस्त हवसियों के सामने नंगा करने का अपराध है माँ का दूधपीता बच्चा फोटो में दिखाना ,
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सौ बार लानत्त हजार बार थू ,लाखो धिक्कार फोटोग्राफर को ,मरजी से खिंचाया तो उस स्त्री को ,उस नग्नता का समर्थन करती लाॅबी को ,
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अरे माँ शिशु को तो बख्श दो .....

..©®सुधा राजे

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