Monday 28 July 2014

सुधा राजे का लेख -"" आडंबर के नाम पे""

कब हम अपनी धार्मिक कुंठाओं और
आडम्बरों से बाहर आयेंगे??
धोखे से दिशा टीवी लग गया और
देख रहे है कि """"कई घङे दूध
कई घङे दही मख्खन
कई घङे शहद कई घङे तेल जल और फिर
राख!!!!!!!
शनि अभिषेक
के बाद
फिर लगभग लँगोट मात्र में नग्न
पुजारी
कुंड
में मल मल कर नहाता है ।
कमेन्टरी चल रही है??
कोई
बताये कि
यही अर्पण अगर
प्रतिमा को भेंट रखकर '"साफ
सुथरा ''अनाथ गरीब लाचार
बच्चों को बाँट
दिया गया होता तो???
हमारा
दावा है शनि देव जरूर खुश हो जाते
रोको इस आडंबर को
जो
जो
जागृत हैं
परंतु देखो बङे बङे व्यापारी धनिक
इस बरबादी को ""आस्था "का नाम दे
रहे हैं!!!!!!!

सवाल है "हम कितना समझते है अपने
धर्म को?? ""अनेक ग्रंथों का अध्ययन
करने के बाद यही निचोङ
मिला कि """मानषोपचार पूजन
""सर्वोत्तम है यानि हम प्रतिमा के
समक्ष देवता को याद करके भेंट सामने
रखकर अर्पित करके """"ज़रूरतमंदों
"""को बाँटते है देवता के नाम पर
तो """"वह प्रसादम कहकर
"""उपकार और वितरण के अपरिग्रह
अस्तेय का मार्ग है """जो पुण्य है और
समाज के असंतोष को ""रोकता है "

सवाल है "हम कितना समझते है अपने धर्म
को?? ""अनेक ग्रंथों का अध्ययन करने के
बाद यही निचोङ
मिला कि """मानषोपचार पूजन
""सर्वोत्तम है यानि हम प्रतिमा के
समक्ष देवता को याद करके भेंट सामने
रखकर अर्पित करके """"ज़रूरतमंदों
"""को बाँटते है देवता के नाम पर
तो """"वह प्रसादम कहकर """उपकार
और वितरण के अपरिग्रह अस्तेय का मार्ग
है """जो पुण्य है और समाज के असंतोष
को ""रोकता है " ।
आराधना का सर्वोत्तम तरीका है ""अपने
आराध्य के लिये उपवास करे ""और उस
दिन बचाया संपूर्ण आहार """दान कर दें
उनको जिनको मजबूरन उपवास
जैसी हालत से गुजरना पङता है
"""जो जो चीजें इफरात में मिली है
"""उनको देवता के नाम पर भेंट करके
""वंचितों में बाँट दें और ""बुराई से बचे
मन कर्म वचन से ""परहित ""

""ईश्वर ""भाव का ही तो नाम
है ""ध्यान जप व्रत संयम और
"""परपीङा से अपने
को रोकना """यही आचार है।
मंदिर में """एक पात्र रखें सब लोग
देवार्थ अर्ध्य समर्पित करें ""अब
उसको किसी ""संस्था के माध्यम से ""दूध
दही घी शहद और भोजन से वंचित
""परिवारों तक भिजवा दें ""।

भयंकर """कचरा बनाया गया ""कई घङे
दही दूध घी माखन
का """हमारा परिवार पूरे साल खाकर
बचा भी लेता जिसको वह केवल तीस
मिनट में कचरा कूङा हो गया??? एक तरफ
लोग कूङे में से ब्रेड के टुकङे बीनते है
""उफ्फ ''पाखंडी कहीं है क्रूर लोग।
ओरछा, 'रामराजा मंदिर में कलाकंद
(मिल्ककेक) का प्रसाद लगता था हमारे
बचपन में किंतु """सर्वोत्तम याद ये है
कि सब पुजारी खोज खोज कर मंदिर के
दूर पास सबको प्रसाद बाँटते और कोई
""बिना दोना भर प्रसाद पाये
सोता नहीं था, यानि यात्री अनाथ
भूखा नहीं सोता था ""अब
तो पता नहीं ""तब यही नियम था।
शनि "की प्रसन्नता का अचूक उपाय
हमारे कुलपुरोहित जी बताते है ""अपने
कर्मचारी दास सेवक नौकर मातहत और
असिस्टेन्ट सफाई कर्मी और सेवादार
को प्रसन्न रखो । ये लोग शनि प्रधान
व्यक्ति कहे जाते हैं
इनको ही तवा चीमटा काला कपङा कंबल
कोयला सरसों तेल उङद और
काली जौ काली ऊन
काला चमङा काली बकरी और काली भैंस
लोहे के कङाह आदि भेंट में देते रहने
चाहिये ।अब विज्ञान सोचो ।
सावन शाक "निषिद्ध
भादों दही निषिद्ध क्वाँर
करेला निषिद्ध कार्तिक
मट्ठा निषिद्ध '''कारण है कि आषाढ़ में
पत्रीछेदक कीङे सब्जियों पर लग जाते हैं
और इनके कारण दूध संक्रमित होता है
तो चार महीने मथ मथ कर घी एकत्र
करतीं है महिलायें जो आठ महीने
को घी मिलता है """""बृज और बुंदेलखंड के
ग्वाले हर चतुर्थी को दूध "मुफ्त
"ही बालकों को बाँटते है ये ""आज
भी जारी है कान्हा के आदेश से।
अगर दास दासी कर्मचारी हैल्पर नौकर
सेवक खुश हों तो ""संकट ""आयें
ही नहीं न??
प्रतिमायें "ईश्वर नहीं है
''समझो मोबाईल पिताजी नहीं हैं '''किंतु
मोबाईल के सामने बैठकर बतियाने से
पिताजी हर बात सुन लेते हैं मोबाईल में
पिताजी की तसवीर है और टचस्क्रीन पर
पिताजी को छूने जैसा अहसास है """"अब
पिताजी कहीं दूर बैठे देख रहे हैं भोजन
जल सब किंतु मोबाईल को मत डुबोओ खाने
में पिताजी को ऑफर करके ""दावत
करा दो परिवार की ""।
©®सुधा राजे

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