चीटरनामा3

कम से कम दो शिक्षक "हमने पकङे ऐसे जो खुद पढ़ाने की बजाय अपने खेत और
दुकान पर चले जाते "उनको पढ़ाना ही नहीं आता था "एक युवक शिक्षित मजदूरी
पर रख लिया जो कुछ सैकङा रुपयों के बदले पढ़ाने चला जाता और एक रेडीमेड
एप्लीकेशन हर वक्त साथी स्टाफ के पास रहती अगर कोई बङा अधिकारी दौरे पर
आया तो बस तारीख डाली और लगा दी ।या फिर पहले सूचना देकर बुला लिया, एक
तो अपना निजी स्कूल चलाते हैं दूसरे परलोक चले गये वे खुद अनुकंपा से
टीचर बने थे अब उनका बिगङैल बेटा जो हर धंधे में असफल रहा अनुकंपा से
टीचर है!!!!! ।
ये केवल एक नमूना है ""गुरुओं के आचरण का "'

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Sudha Raje
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Fatehnagar
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Mobile- 9358874117

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