सुधा राजे का लेख- "व्हाट डू यू मीन बाइ "चरित्रवान"???"

चरित्र?
का एक बङा सपाट सा अर्थ योगरूढ़
सा हो गया है ।
एक आदमी "शराब पीकर रोज
बीबी को बच्चों को मारता पीटता है
और और जवानी भर बीबी पर दैहिक
अत्याचार के बाद प्रोढ़ होते लगभग
नपुंसकता की हालत में होने की वज़ह
से अपनी युवा सुंदर
लगती स्त्री का सजना सँवरना उसको फूटी आँखों नहीं सुहाता और
रात दिन भयभीत रहता है
कि कहीं पत्नी को कोई
पङौसी नातेदार सहकर्मी न ले भागे,
वह रात दिन अश्लील
गालियाँ बकता है, किसी पर
भी कोई भी लांछन लगा देता है ।
आधुनिकाओं को
'' चालू ''आईटम कहकर मज़ाक
बनाता है । बिजनेस में
बेईमानी मिलावट रिश्वत खोरी और
घूस देकर पैसा कमाता है "गरीब
मजदूर की मजदूरी पर घपला करता है
'जरूरत मंद दुखी को मदद
नहीं करता और देश से संस्कृति से जीव
प्रकृति और समाज के मानवीय नाते
रिश्ते से उसे कुछ भी सहानुभूति नहीं है

परोपकार को बेवक़ूफी समझता है
भाई से बहिनों का हक बेईमानी से
मारता है ।
घमंडी बकवादी और लालची है ।
वह चरित्रवान है क्योंकि ""उसने
कभी किसी दूसरी स्त्री से ""औपस्थ्य
" संबंध स्थापित नहीं किये!!!!! !
दूसरी ओर एक अविवाहित व्यक्ति है
।या विधुर या तलाकशुदा ।
जो "अक्सर गरीबों की गुमनाम मदद
करता है । वह पास पङौस की बहू
बेटियों के हित के लिये कष्ट
उठाता है ।
वह देश को अपने सच्चे हुनर से
सँवारता है और कानून पालन करता है
जीव दया और
प्रकृति रक्षा उसकी हॉबी है ।
उसके जीवन में एकाधिक पारस्परिक
(म्यूचुअल )''औपस्थ्य 'संबंध भी है ।
किंतु वह फ्लर्ट
नहीं बलात्कारी नहीं छेङछाङ
अश्लील हरकतें नहीं करता न
ही स्त्रियों पर लबादे
लादना चाहता है ।
वह बदचलन है
!!
सवाल है "क्या चरित्रवान
होना केवल 'दूसरे किसी से दैहिक
संबंधों का न होता मात्र है??
या
एक व्यापक अवधारणा?
एक 'सत? जन,, मिले पाँच
बच्चों की माँ चालीस में छोङ
मरी """"हर
लङकी जो बेटी की सहेली बनी में
"मरी बीबी खोजते ""परंतु चरित्रवान
रहे और विवाह नहीं किया """"दूसरे
दुर्जन मिले जिन्होंने पुनर्विवाह कर
लिया और बहू बेटी को सदा बहू
बेटी ही समझा """कभी दादा कहने
वाली में
कविता की ""तारिका प्रेमिका नहीं खोजी """"लेकिन
''''चरित्रवान तो सत? जन ही हैं न!!!
भारतीय परिभाषा के अनुसार
लङकियों को बेटी कहकर "मन ही मन
उनमें नायिका खोजना ''रिश्वत
लेना ""रिश्वत देकर अपना काम जरूरत
मंदों से पहले कराना ""नकल करके पास
होना ""जाली मिलावटी और
दूसरों की रचनायें मारना " माँ बाप
दादा दादी को गाँव में सङने को छोङकर
खुद महानगर में ऐश से रहना ''देश
की सरकारी संपत्ति चुराना बिगाङना ''कोई
चरित्रहीन नहीं बनाता """"""बस तब
तक जब तक उसकी जिंदगी में कोई 'अन्य "
न हो 'चाहे वह रोज पोर्न देखता हो और
चाहे रोज ईव टीजिंग।

यही एकदम यही बात
"मौलवी पादरी संत का चोगा पहन कर
''धर्ममार्ग पर चलने का रातदिन
व्याख्यान देता मनुष्य जिसको ""अखंड
ब्रह्मचारी घोषित ""कर रखा है और
मान लो कही कहीं ""पदार्थ अर्थ में
हो भी """तो भी अगर उसके विचार
आचरण सोच और नीयत ''''स्वच्छ
नहीं ""क्या चरित्रवान है??

--
Sudha Raje
Address- 511/2, Peetambara Aasheesh
Fatehnagar
Sherkot-246747
Bijnor
U.P.
Email- sudha.raje7@gmail.com
Mobile- 9358874117

Comments