सुधा राजे का एक पत्र--" ताकि सुरक्षित रहे बचपन।"

बच्चे विशेष कर प्राईमरी स्कूल के
बच्चे "
आजकल शिक्षक और सहयोगी स्टाफ
की हिंसा मारपीट छेङछाङ और
मानसिक प्रताङना का शिकार होने
लगे हैं ।
स्कूल में झूले स्लाईडिंग और खिलौने
देखकर प्रभावित मत होईयेगा ।
ये सब केवल दिखाने को होते हैं
असली चीज है धमकियाँ झिङकियाँ डर
आतंक दहशत डाँट मारपीट और
कनपकङई उठक बैठक छङी स्केल और
नंबरों की कसौटी ""
हमारा ""निजी तौर पर सोचना है
कि "
प्राथमिक स्कूल तक
अब ""समय ऐसा है कि केवल
महिला शिक्षक ही रहनी चाहिये "
और जिन जिन स्कूल में प्रायमरी तक के
लिये केवल महिलायें ही शिक्षक हैं
प्रिंसिपल है क्लर्क और आया है
वहीं अपने बच्चों को पढ़ाने
को प्राथमिकता दें ""
बचपन को आतंक और शोषण से बचाने
का सबसे पहला उपाय यही है
बल्कि कक्षा आठवीं तक """अगर केवल
महिला शिक्षिकायें ही रखीं जायें और
स्कूल की आया दंपत्ति ही हों कोई
अकेला व्यक्ति पुरुष चौकीदार
आया 'पद पर प्राथमिक स्कूल में
नहीं रखा जाना चाहिये ।
कोई परिवार
ही हो जो कि पति पत्नी बच्चे स्कूल
में ही रहते हों और कमसे कम
"प्रिंसिपल और दो शिक्षक परिवार
भी स्कूल भवन परिसर में ही रहते
हों यह भी एक दूसरी जरूरी बात है ।
बैंगलौर की घटना हो या मुंबई
गोवा यूपी बिहार राजस्थान की ।
प्राथमिक कक्षाओं के अबोध लङके
लङकियों के साथ ""पुरुष
शिक्षकों का व्यवहार क्रूरतापूर्ण
और अमानवीय होता पाया गया है "
महिला शिक्षक
माँ की तरह डाँट फटकार ही कर
सकती है बस और अधिक
हानि की संभावना कम से कम है ।
आठवीं के बाद कम से कम
लङकियों को पृथक से
सिखाया समझाया जा सकता है और वे
खुद काफी हद तक जागरुक
हो चुकी होती है ।
((अन्यथा न लें हमने खुद अपने बच्चों के
मार्शल आर्ट्स के शिक्षक को चार
महीने बाद ही हटा दिया था )
बेशक सब खराब नहीं '
किंतु
कौन कौन खऱाब नहीं ये कौन
""गारंटी लेगा??
जब ढाई साल
की भतीजी को सगाचाचा """"""
अब और नहीं लिखा जाता इस टॉपिक
पर
समाचार
पढ़ना सुनना यातना प्रद होने
लगा है
(सुधा राजे )

--
Sudha Raje
Address- 511/2, Peetambara Aasheesh
Fatehnagar
Sherkot-246747
Bijnor
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