सुधा राजे का लेख - अतिवाद बनाम स्त्री विमर्श -

अगर "वेश्यालय बंद
हों स्त्रियाँ बेचनी खरीदनी और
छेङछाङ
बलात्कार बंद हो लङकियाँ जान से
मारनी बंद हों और बंद हों दहेज
उत्पीङन
हत्यायें और बुरका घूँघट, घरेलू हिंसा,
अपमान और हक़ पर स्त्रियों को घरेलू
मुफ्त
की दासी बनाना ''नचवाना लोगों के
मनोरंजन को और दंगा ',बदला ',
पुरुषों को अपमान के लिये बलात्कार
दंड
के लिये नग्न घुमाना डायन कहकर
मार
डालना """""इनका विरोध
करना अतिवाद है '''तो '''सफेद पोश
स्त्री पीङकों से अधिक ""हम
अतिवादी कहलाना पसंद करेगें
अगर ""बेटी बहिन
माता ""की गाली देने का हम
विरोध
करते हैं और इस पर """हँस हँस कर अपने
भाई दोस्त तक को गरियाने वाले
"""पुत्र तक को गरियाने वाले
"""""हमें
अतिवादी कहते हैं तो ""सादर हमें
कोई
आपत्ति नहीं
अगर " स्त्री को पढ़ने लिखने से रोकने
वाले, जॉब करने से रोकने वाले ',
माँ बाप
बाद में विवाह करके फिर एक एक
चीज
को मोहताज लङकी को ससुराल
वालों के
सामने ज़लील होता देखते हैं ', और
ससुराल
वाले "युवावस्था में बहू को कामकाज
नहीं करने देते ''गृहिणी होने पर
विवश
करते हैं """फिर जब वह प्रौढ़
हो जाये
तब """पाई पाई को मोहताज रखकर
खिलाने पिलाने रोटी कपङा मकान
दवाई के """"कमाई """के ताने देते
तरसाते हैं """तो ऐसे दोमुँहे ''मायके
और
ससुराल वालों को हम धिक्कार देते हैं
""""""और कोई हमें अतिवादी कहे
तो कोई आपत्ति नहीं।
स्त्री का अर्थ """केवल
पत्नी ही नहीं है"""""वह बूढ़ी माँ है
जिसने अत्याचारसहकर बेटे पाले और
बुढ़ापे ''लङके गाँवछोङकर शहर चले गये!!!
लोग """स्त्री का अर्थ
केवलपत्नी या प्रेयसी ही क्यों समझते
है????वे
किसी पिता की गोदकी दुलारी बेटियाँ जिनका किडनैप
करकेलाखों पुरुषों के बिस्तर पर वेश्यालय
मेंधकेल
दिया जाता हैऐसी गुमशुदा """लाखों बेटियाँ किसी पुरुषकी छोटी बङी बहिने
भी होती है """अगर हम कहते है कि सुंदर
बनने से अधिकजरूरी है पढ़ लिखकर
अपनी दैहिक ताकतबनाना और अपने
लियेरोटी कपङा मकान
खुदकमाना """तो कोई इसके लिये
हमेंअतिवादी कहता रहे
""""हमारा संदेशहम हर
युवती बेटी बहिन
माँ दादी तकभेजना चाहते है
""""जिनको डर है अपने घर बंद रखें ""'
जब ये समन्वय
वादी ""किसी की चूङी बिंदी पायल और
चुनरी नथ पर फ़िदा होकर आहें भर रहे
होते थे """""हम घरों में घुसकर चाय से
जली पीठ वाली खूबसूरत औरतें पुलिस
की मदद से निकाल कर घर पहुँचाते थे
''जब ये समन्वय वादी ""पति परमेश्वर
की दासी बनकर रहने का उपदेश देकर
ससुराल भेजी बेटी की लाश पर आँसू बहाते
थे ""तब हम दहेज विरोधी विवाह
योजना के लिये लङके लङकियों के
पारिवारिक परिचय करवाते थे।
©®सुधा राजे

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Sudha Raje
Address- 511/2, Peetambara Aasheesh
Fatehnagar
Sherkot-246747
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