सुधा राजे का लेख --""तेरे पास जीने केलिए क्या है लङकी??""(भाग सात)

पुरानी बीबी अय्याश पति को केवल अय्याशी में बाधा ही लगती है ।औरत चाहे
जितना मेनटेन करके मातृत्व और घरेलू सेवा में पिसकर रूप सेहत फिगर सब
बरबाद हो ही जाता है ।
जबकि नौकरी पेशा पुरुष के पास खुद पर ध्यान देने को समय रहता है और रहता
है अपनी मरजी से उङाने को पैसा ।
नतीजा वह अच्छा पहनता ओढ़ता है घर का बॉस और पुरुष होने के नाते श्रेष्ठ
आहार और हुकूमत भी कब्ज़े में रहती है दुधारू ढोर की चार लात सहनी पङतीं
है सो परवरिश माँ करती है परंतु कमाई के लिये सब निर्भर बङे छोटे चुप
रहते हैं ।


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Sudha Raje
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