शोर और लापरवाह प्रशासन

Sudha Raje
लाउडस्पीकर्स विवाद
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पश्चिमी उत्तर प्रदेश की भयावह
सच्चाई है ।।
यहाँ
एक पक्ष द्वारा
रात दो बजे से सुबह पाँच बजे तक
डिब्बों में पत्थर भर कर लाउडस्पीकरों के
सामने बजाये जाते हैं और शाम पाँच बजे से
रात दस तक धार्मिक उपदेश सुनाये जाते
हैं ।सात बार ईश्वर को हजारों माईक
लगाकर अंतरिक्ष से पुकारा जाता है।
दूसरे पक्ष होङा होङी
सुबह पाँच बजे से
भजनों की सी डी लगाकर कान फोङू
संगीत जबरन सुनवाते हैं ।
सात बजे तक और शाम को भी रोज एक से
दो घंटे तक फिल्मी हिट आईटम
गीतों की भद्दी नकल पर कान फोङू
पाश्चात्य पूर्वी घालमेल मूझिक्क सुनवाते
हैं ।
अक्सर
अखंड रामायण के नाम पर अशुद्ध पढ़ते
लोग ।
तीन दिन तीन रात लगातार कान फोङू
चींपो पोंची मचाये रहते हैं । न चोपाई
समझ सकने की न दोहा संस्कृत कोई पढ़
ही नहीं पाता । बीच बीच में तमाम
फिल्मी धुने जोङकर कीर्रंतननन का शोर
मचाया जाता है ।सतसंग।जगराते।
तीसरा पक्ष
विवाह दशटोन सगाई गोदभराई
तिलक वरक्षा लेनदेन जयमाला और
गृहप्रवेश जन्मदिन पर
जमकर डीजे और भोंपू लगाकर खूब अश्लील
गाने बजाते हैं और नई तकनीक के चलते ये
बिना रुके चलते बजते हैं।
चौथा पक्ष
नेतागण लगातार पहले जबरन भोंपू पर
रिक्शों से प्रचार ।फिर मंच पर
घंटों गाना बजाना और कहीं कहीं नाच
भी। फिर रात भर भाषण ।
पाँचवा पक्ष ।
ब्रुश मजदूर और रात के कारीगर
फैक्ट्रियाँ । ये लोग पूरी पूरी रात
जागकर काम करते है और कई कई बॉस
ज्यूक बॉक्स डैक लगाकर पूरे
मुहल्लों को सिनेमा हॉल बनाये रखते है।
छठा पक्ष
बिजली नहीं रहती पश्चिमी यू पी में
अतः सब धनिक लोग जेनरेटर
बिना सायलेंसर के चलाये रखते हैं
कानफोङू शोर और धुँआ.। हर विवाह
जागरण तिलक बारात छट्ठी भात
दशटोन तकरीर इज्तमा कव्वाली उर्स
मुशायरा मीलाद तेरवीं सब पर ये
जेनरेटर
अनिवार्य पङौसी के दरवाजे खङे करके कई
दिन लगातार धक धक धक धक शोर और
धुआँ फैलाते रहते हैं ।
सातवाँ पक्ष
आटा चक्कियाँ जो बिजली न होने से
डीजल इंजिन से चलायीं जातीं हैं ।
बिना सायलेंसर के पङौसियों के कान
फोङती रहती हैं ।
आठवाँ पक्ष
हर वाहन पर हॉर्न या तो पुलिस हूटर
या एंबुलेंस सायरन की मिलती धुन
का लगाया जाता है जो जमकर
बिना परवाह के बजाया जाकर
पङौसियों को रुतबे में डराया जाता है।
अभी बाकी हैं
घरों के शौकीन मिजाज तेज सुनने वाले एफ
एम और टी वी के शोर सुनाने वाले ।
काँवङियों और नुमैईशों नेजा मेलों के
लाऊडस्पीकर
हर साल सैकङो सांप्रदायिक झगङे
केवल
लाऊडस्पीकर की वजह से
परीक्षार्थी मरीज लेखक दुखी
मगर
प्रशासन??
ईय़र फोन पर मस्त मगन
क्या
लाऊडस्पीकर बंद नहीं होने चाहिये
सबके सब
शोर बंद हो।
एक नया चलन है भिखारी भी रिक्शे पर
लाऊडस्पीकर लगाकर रिकॉर्डेड आवाज़ से
भीख माँगते हैं
कबाङी
वेंडर
कुल्फीवाले
आयस्क्रीम वाले भी
तेज संगीत लाऊडस्पीकर पर अपने सामान
का विज्ञापन करके दिनभऱ घूमते है
शोर ही शोर
चिंतक लेखक शिशु विद्यार्थी मरीज वृद्ध
ध्यानी पंक्षी और प्रकृति
दुखी
कोई है जो समझे???
कला
शिक्षा
सृजन
सेहत
और समरसता का कितना विनाश!!!

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