सच्चा नायक है कहाँ

Sudha Raje
लगातार दक्षिणपंथी वामपंथी सेक्युलर
और दलित पिछङा पंथी ।
क्या है सबमें?
केवल ऊपर चोटी पर खङा एक
नेता मुखङा चमका रहा बस्स।
नीचे
वही व्हिस्की ठर्रा वोदका बिस्किट
काजू और सैटिंग?
सेक्युलर मतलब हिंदू विरोध ।
दलित संरक्षण मतलब सवर्ण विरोध।
वामपंथी मतलब राष्ट्र और धर्म से
विरोध और पूँजीवाद विरोध के नाम पर
पूँजी संग्रह
देश में व्यक्ति ही पार्टी हो गये???
पार्टीगत विचार धारा नहीं रहीं ।
उत्तराखंड में गुजराती मदद मोदी फैक्टर
से रोक दी जाती है ।
महाराष्ट्र में बिहारियों का जमकर
अपमान होने दिया जाता है
मराठा वाद हावी हो जाता है ।
पहाङी व्यक्ति मैदानियों से नफरत
करता है ।
कश्मीर पर लिखते बोलते
सबकी हवा खिसकती है ।
जहाँ दिलों में वहम डाल दिया गया है
कि वे लोग विशेष हैं और शेष भारत अवशेष
है । वे अवशेष भारत
को इंडियावालो कहकर गालियाँ देते हैं ।
और सबसे ज्यादा बजट कश्मीर पर खर्च
किया जाता है ।
सैनिक के हाथ पाँव मुँह बाँधकर कश्मीर
भेजा जाता है गुलेलें चलाने बम वालों पर

नक्सलवाद गले की हड्डी बनकर छाती पर
बैठा रोज एक बोटी माँस उधेङ रहा है ।
लेकिन वायुसेना को एक महीने की मुहलत
देने की इजाजत नहीं??
अलगाव वाद लगभग हर सीमांत राज्य में
पनप रहा है ।
और समर्थन मिलता है महानगरों में बैठे ।
बुद्धिजीवियों से जो हर राष्ट्र और
मानवता विरोधी हिंसा को विचारधार
वाद का जामा पहना कर फूल मालायें
बटोर ले जाते हैं ।
आरक्षण को हक़ मानकर हर जाति चीख
चीख कर जाम जुलूस और तोङफोङ करके
आरक्षण माँगने लगे हैं ।
राहत पुनर्वास रोजगार की हर
योजना बनती गरीब के नाम पर है लेकिन
गरीब अपने को गरीब साबित नहीं कर
पाता बल्कि अमीरों के घर राशन का तेल
शक्कर अनाज आकर आङत पर जाता है ।
केवल खास मजहब और जाति में पैदा होने
से निहायत कामचोर और नालायक
भी अवसर पा जाते हैं । और कुछ
गिनी चुनी खास जातियों में पैदा होने से
लायक लोग कभी अवसर नहीं पाकर
पलायन या कुंठा के शिकार हो जाते है।
लाशें सङ रहीं हैं लोग पार्टी वाद पर
बयान दे रहे हैं ।
ये
दुर्घटना अगर दूसरे धार्मिक स्थलों पर
हुयी होती तो मगरमच्छी आँसू बहाने सारे
सेकुलर पहुँच जाते ।
एक देश
एक नागरिकता
एक ही कानून
एक योजना
क्यों नफरत फैलाने वालों पर
सख्ती नहीं हर मजहब के । क्यों नहीं हर
सैनिक की जान कीमती???
आपदा प्रबंधन नामक विभाग भंग करके
सबको नगर सफाई विभाग क्यों न
बना दिया जाये???
राहत कार्यों के लिये जनभावुकता के
फलस्वरूप एकत्र धन और
सामग्री कहाँ लगायी ये हिसाब
खुलासा क्यों नहीं होना चाहिये?
कहीं भी फटाफट मंदिर मज़ारे चर्च खङे
करते चले जाने पर रोक क्यों नहीं??
क्यों वंशवाद के आधार पर राजनीति?
ठाकरे
यादव
गाँधी
दक्षिणी क्षेत्रीय दल
नवतानाशाही और राजतंत्र का ही रूप
तो है ये वंशवाद??
राजा पहले वीर विलासी होते थे । अब
आरक्षण प्राप्त वक्ता घोटाली होने लगे

राजतंत्र कब खत्म हुआ जो राजमहल से
सत्ता निकली तो कोठियों और बंगलोज
में पहुँच गयी ।
आजाद कौन हुआ.
वोटर दारू पीकर वोट देकर
दिहाङी पर चला जाता है ।
अपराधी जमानत कराके तारीख ले
लेता है ।
नेता घोटाला कराके सी बी आई जाँच
कराकर साफ बरी हो जाता है ।
दंगाई हमेशा संदेह का लाभ लेकर छूट
जाता है।
देश का संसद में अपमान होता है ।और
पढ़ा लिखा वर्ग धनिकों और
अपराधी ताकतों से डरा सहमा सच कह
ही नहीं पाता ।
यूँ ही जैसे हमें लिखना तो बहुत कुछ है मगर
डर लगता है साहब
देश कब सही नेतृत्व पायेगा??
Yesterday at 4:08pm
Jul 4
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