Sudha Raje
पग के छाले
मन के ताले
हृदय कंठ में
रुँधने वाले
कहे अनकहे
सहे अनसहे
मैं सब गीत सुनाऊँ
दे वीणा में गाऊँ
व्यथा वेदना
यूँ हर लूँगी
सुख दुख
गीतों में भर दूँगी
माँ ये मन जो
भरा पीर से
सारा ही रीता
कर दूँगी
निर्मम जग की
कटुक वेदना
मैं सुर तार बजाऊँ
दे वीणा मैं गाऊँ
माँ तेरे ढिंग आऊँ
SudhaRaje
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Jan 21
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