हम मतवाले कैसे है

Sudha Raje
Sudha Raje
क्या जानेगा रोनेवाला
हँसने वाले कैसे हैँ!!!
कैसे दमका आँख में काजल
पाँव में छाले कैसे हैँ!!
दिन भर
गली गली गाती है
नाच नाच कर हुस्न अदा
बोल तोल कर मीठे बोले
दिल पर ताले कैसे हैँ
रात रात भर तारे गिनकर
चंदा को खत लिखती है
सबकी थाली में खुशबू दे
उसके निवाले कैसे है
झनक रही पायल कंगन झुमके
बिंदी लाली चूङी
चेहरे पर तो सभी फ़िदा हैं
साँस पै जाले कैसे हैं
चहक चहक कर
मिली सहेली फिर
भी थरथर ज़ुबा ज़िग़र
बस उसने इतना पूछा था
घर घरवाले कैसे हैं
मर जाते हैँ फिर भी जीते हैं
रीते हैं गाते हैँ
जो ख़ुदक़ुशी नहीँ करते
वो हिम्मत वाले कैसे हैं!!!
वैसे तो इंसान है तू भी मुल्क़
का रिश्ता ऊपर से ।
लेकिन दोस्त सफेदी में ये
धब्बे काले कैसे हैँ?
दिन भर लिपे पुते चेहरे पर
हँसती है मुस्काती है
वही पङोसन रात
को सिसके नदिया नाले
कैसे है
सुधा रू ब रू आ जाते तो शमाँ
ज़ाम शबनम रोते
बंद रेशमी परदों में
ग़म पीने वाले कैसे
दिल पर हाथ रखो अपने
फिर कहो निभायी है
किसने
तेरी महफ़िल
क्या जानेगी हम मतवाले
कैसे हैँ

सुधा राजे
(दतिया -बिजनौर)

पीतांबरा आशीष

पूर्णतः मौलिक रचना ।


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Sudha Raje
Apr 2 at
8:39pm ·

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