दीप जो ये तुम जला दो तम हटे

दीप ये मुझसे नहीं जलता जला दो ।
तम अमा का नेह कंजों से भुला दो ।
लाओ तो तूली रँगोली मैं बनाऊँ ।
द्वार वंदनवार किसलय के सजाऊँ।
आम्रदुम से तोङकर कुल पत्र ला दो ।
दीप ये मुझसे नहीं जलता जला दो ।
अल्पना के संग मेरी कल्पना में ।
तुम भरो तो रंग मेरी प्रार्थना में ।
भाव की गागर सुधा छलकी कलश में।
तुम सरल मुस्कान से अमृत मिला दो ।
दीप ये जलता नहीं मुझसे जला दो ।
©®™सुधा राजे
Sudha Raje

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