सुधा राजे :-गूंगे रुदन , जंगली गीत ,SUDHA RAJE :- Wild song, dreamy fly ; drenched verses , mute cry
Saturday 8 February 2014
मुक्तक :भार सृजन का
Sudha Raje
प्रेम मात्र है एक अनोखा अनुपलब्ध
उपहार सृजन का ।
ये अपूर्ण चुनकर रक्खा है इस पर
सारा भार सृजन का।
सुधा तृषा ही तृषा और है तृप्ति मात्र
भ्रम विभ्रम मिलना ।
विरह अजर है अमर वेदना मिलन मात्र
त्यौहार सृजन का ।
©®सुधा राज
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