वर्षोत्सव मनायें कुछ फलदार वृक्ष लगायें - आज का वृक्ष कटहल

वर्षोत्सव मनायें कुछ फलदार वृक्ष लगायें 
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आज का वृक्ष 
कटहल 
कँटहफल 
जैकफ्रूट
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पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लोग इसे बड़हल कहते हैं परन्तु यह बड़हल नहीं है "कांटेदार फल होने के नाते कँटहाफल है ।बड़हल पर बाद में लिखेंगे ।
यह बहुत ही अद्भुत वृक्ष है जो जड़ से फुनगी तक तने डालियों पर फलों से लद जाता है । एक फल कम से कम दो किलों से बीस किलो तक का बड़ा हो सकता है ।सामान्य कटहल तीन से पांच किलो तक का होता है ।
इसकी सब्जी तब ही बढ़िया लगती है जब कच्चा फल हो दूध निकल रहा हो डंठल से काटने पर ।पकने पर इसके बीज के ऊपर लिपटी परत बिलकुल केले के पके गूदे समान मीठी नरम और स्वादिष्ट रहती है । पके बीज कवर का कस्टर्ड हलवा खीर कुल्फी मलाईरबड़ी में भी बढ़िया उपयोग होता है ।बीज एक प्लास्टिक जैसी झिल्ली से कवर रहता है और भीतर सिंघाड़े की ही तरह का सफेद स्टार्च होता है ।बीज छीलकर सब्जी में राजमा की विधि से बनाकर खाायी जाती है और पीसकर दूध मावा मेवा डालकर हलवा बीजों के चूर्ण से बनाते हैं । कटहल के कोफ्ते कबाब और पकौड़े खाकर अरविंद जी जेटली जी को कबाब खाता दिखा कर वायरल कर जो दिया। मेरा मानना है कि प्रकृति का वरदान है कांदू कटहल जिमीकंद सूरन रतालू सोयाबीन मृणाल और कटहल अब कोई क्यों मांस खाये ।इनमें तो मांसाहार से भी बढ़िया पौष्टिकता और कबाब बिरियानी पुलाव कोफ्ते पकौड़े परांठे लच्छे पिज्जा सब बनाने की सुविधा है ।व्यंजन विधिया आप "सुधा रसोई "मेरे ब्लाॅग पर बाद में पढ़ लें। यहां वृक्ष लगाने की बात है कि यह बहुत छाया दार बहुत फल देने वाला धनकमाऊ और सब्जी मीठा फल मांसाहार से छुटकारा हरियाली देने वाला दीर्घायु फल है जो बस दो से पांच साल का होते होते फलने लगता है ।पत्ते तक बढ़िया दोने पत्तल पशुआहार है । पनपता भी बहुत जल्दी है ।नम जमीन में बीज गाढ़ दें या नर्सरी से लाकर लगा लें ।कुछ प्रजातियां जिनके कांटे चपटे होते हैं उनकी तुलना में खड़े कांटेदार कटहल की सब्जी बहुत स्वादिष्ट होती है ।पके कटहल बच्चों बूढ़ों के लिये ऊर्जा और वजन कम करने वाले ताकतवर आहार हैं । दुर्बलता में भी कटहल के सब्जी फल खीर हलवा बढ़िया है ।एक पेड़ से हजारों रुपये कमाये जा सकते हैं खेत बाग घर चबूतरे कहीं भी लगायें ।बड़ी टंकी गमले में भी लगाये जा सकते हैं। तो निवेदन है अनुरोध है कि कुछ वृक्ष लगायें न केवल अपने लिये अपितु दूसरों के लिये भी जब भी जहां भी जगह मिले यह पावस व्यर्थ न जाये ।सादर नमस्कार ,जयहिंद 
©®सुधा राजे

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