​धरती का ऋण कुछ तो हों उऋण - ​अनार

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,,,,,,,,वर्षा ऋतु है ,,,,,
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अनार 

दाड़िम 
एक बहुत ही उपयोगी और सुन्दर फलदार वृक्ष है जो हर तरह की भूमि में बहुत कम देखभाल से भी पनप जाता है ।अनार की कलम काटकर गुलाब की तरह ही लग जाती है और बीज से भी लग जाता है ।फल तो पुरानी कहावत है एक अनार सौ बीमार यानि एक अनार प्रतिदिन खाने से सौ तरह की बीमारिया दूर रहतीं हैं ।अनार आप बड़े गमले में भी लगा सकते हैं ।रेत गोबर मिट्टी और सूखे पत्ते मिलाकर मिट्टी तैयार करें ।वर्षा ऋतु में अनार बहुत जल्दी पनपता है । इसके दाने सुखाकर मसालों की तरह भी प्रयुक्त होतें हैं । अनार फल का छिलका जलाकर कोयला बनाकर पीसकर कपड़छन करके नमक मिलाकर मलने से मुख दुर्गंध और मसूड़ों की बीमारी दूर होती है ।सूखे छिलके चूसने से खांसी कम होती है ।रस को गाढ़ा पकाकर शरबत बनाने को बोतल में महीनों रख सकते हैं ।रूप निखार में अनार चबाकर खाना सर्वोत्तम उपाय है ।रक्ताल्पता के मरीजों के लिये अनार रस रामबाण उपाय है । नन्हे बच्चों को अनार चबाकर खाने से कब्ज नहीं होता और रस पिलाने से हड्डी मजबूत त्वचा स्वस्थ और लंबाई तेजी से बढ़ती है ।विटामिन सी और लौहतत्व भरपूर होता है ।वृक्ष फलने पर फलों पर कपड़े बांधने से वे और गुणदायक हो जाते हैं ।
तो अनुरोध है जहां कहीं स्थान मिले एक अनार का पौधा अवश्य लगायें । पहले अनार घर घर होते थे ।
देवीमाँ को अनार की कलियां चढ़ाने से मनोकामना पूर्ण होती है । हम लोग पाटी पर अनार की कलम और भर्रू की कलम से लिखना सीखे ।पहले ईंट के खड़ंजे पत्थर के पड़ंजे वाले आँगनों में अनार जरूर लगे रहते थे 
,,,,,,,,,बचपन में गाना सुना ,,,,,
~~~~~~अनार वारी बगिया मैं न जैहौं राजा 
~~~~~~~अनार वारी बखरी मेंससुरा की बैठक 
~~~~~~~~मैं लंबे लंबे घुँघटा ना दैंहौं राजा ,,,
©®सुधा राजे

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