Monday 3 July 2017

​धरती का ऋण कुछ तो हों उऋण - शहतूत

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धरती का ऋण कुछ तो हों उऋण 
*********************चलो फल दार वृक्ष लगायें वर्षा ऋतु को सफल बनायें 
("सुधा राजे ,.)
आज का पेड़ 
शहतूत ,
पिप्पली 
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हमें घेर गेंवड़ा के रूप में एक खंडहर कौटुम्बिक बँटवारे में मिला था जिसमें हमने पेड़ लगाने शुरू किये आज लहलहाता बगीचा है ,उसमें सबसे प्रिय पेड़ हैं शहतूत के 

ये पौधा बहुत आसानी से पनप जाता है ।एक पौधा दो साल की आयु का होते ही फल देने लगता है और पाँच साल का विशालकाय वृक्ष बन जाता है ।आप बड़े गमले में भी लगा सकते हैं ।यह हर तरह की भूमि में तनिक सी नमी पाकर भी बिना देखभाल के ही पनप जाता है ।फल बहुत खटमिट्ठे रसदार और लौहतत्व तथा विटामिनों से भरपूर होते हैं प्राकृतिक रंग भी हैं रस भी जैम जैली मुरब्बा शरबत आईसक्रीम और टाॅफियों के लिये बढ़िया है ।सूखा फल मेवा बन जाता है यह एक नन्हा अंगूर का गुच्छा लगता है गौर से देखने पर ।बकरी को चारा ।कृषक को टोकरी चटाई दरवाजे टटिया बाड़ इसकी पत्ती टहनी से मिलती हैं ।हर छह माह पर काट ने पर भी खूब जल्दी घना हो जाता है ।तपती गरमी में घनी हरी भरी छाया ।होली पर पके फलों से जमकर होली खेलते हैं हम सब । त्वचा पर इसके सेवन से झुर्रियां नहीं पड़ती पेट के कीड़े रस में काली मिर्च काला नमक मिलाकर पीने से नहीं पड़ते । हरा लाल काला तीनों रंग वाला शहतूत दो प्रकार है । नन्हे फल वाला और लंबे फलों वाला । इसके पत्तों पर चाहें तो रेशम कीट पाल सकते हैं तितली और नन्हीं दुर्लभ चिड़ियां खूब आतीं हैं इस पर । लकड़ी लचीली मजबूत होती है ।टोकरों में क्विंटलों वजन ढोया जा सकता है ।कितना भी काटो फिर छह माह बाद हरा भरा ।ऊँचाई पाँच से पैंतीस फीट तक हो सकती है। एक बार लग गया तो चिड़ियां फिर खाकर मीलों तक इसकी बुआॆी कर डालतीं हैं और हर तरफ बरसात में शहतूत उग आते हैं ।खून की कमी वालों के लिये वरदान है शहतूत । फलों से उत्तम सिरका और मदिरा भी बनती है ।अचार में भी डाल सकते है । पत्तों के मशीनी दोने पत्तल भी बनते हैं और हर समय हरा भरा रहता है केवल पौष में पत्ते झड़ जाते हैं ।

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