सुधा राजे का लघु लेख ""रमजान मुबारक"" ---- "" ईद के बहाने""

सबको रमज़ान और आने वाला ईद का दिन मुबारक 'कहने से पहले यह कहना भी
आवश्यक है कि 'आज का युग विज्ञान का युग है ।अब हम सब एक मजहब एक नगर
गाँव की सीमा में बँधे नहीं रह सकते ।सेटेलाईट्स न हों तो आज न अखबार
छपेगे न मोबाईल टीवी रेडियो मौसम वायरलैस इंटरनेट चलेगे और धरती की सारी
जरूरतों के लिये इन सबका होना जरूरी है । अगर सब लोग जब जब शुक्रवार की
नमाज और ईदगाह पर एकत्र होते हैं तब तब ''विश्व बंधुत्व ''के इस मूल
स्वरूप को समझें समझायें तो हम सब इंसान हैं और हमें सबको मिलकर यह धरती
सुंदर हरी भरी सुरक्षित और शांत बनानी है
जहाँ किसी को किसी से न डर लगे न नफरत हो । सब परस्पर भरोसा यकीन
विश्वास करें और एक दूसरे का सम्मान करें ।जिसके पास अधिक साधन धन जमीन
है वह बिना किसी भेदभाव के अनाथ अपाहिज बेसहारा लोगों को, इस तरह दें कि
आगे को कोई मोहताज न रहे । प्रदूषण की समस्या गंदगी की समस्या चोरी डकैती
बलात्कार छेङछाङ और नदी नहरों तालाबों की साफ सफाई की समस्या पर हम सबको
मिलकर एकजुट होकर साथ रहकर ताकत लगानी होगी "हम भारतीय हैं ''यही पहचान
है हमारी । विश्व के किसी भी देश में जब तक हमारे पास वीजा और पासपोर्ट
पर हमारे देश की मुहर न लगी हो हमारा परिचय दर्ज न हो देश का नागरिक होने
के रूप में तो ',हम कहीं भी न रह सकते हैं न कोई हक प्राप्त कर सकते हैं
। इसलिये विश्व में हमारा देश सम्मान पाये यह बहुत जरूरी फर्ज है कर्तव्य
है हमारा । भारत से कुपोषण, गरीबी, विकलांगता, टीबी, पोलियो, एड्स, कोढ़,
मधुमेह, मोटापा, हार्टअटैक, सूखा रोग, चमङी के रोग, बच्चों में अंधापन
आदि बीमारियाँ खत्म हो जायें । हमारे देश के सब लोग ग्रेजुएट हों । सब
लङकियाँ पढ़ी लिखी हों । सब औरतें स्वस्थ हो । हमारी आने वाली पीढ़ी को
पीने का साफ पानी मिले और, किसी भी लङकी को पढ़ने जाते समय बाजार जाते
समय और नौकरी रोजगार जॉब पर दफ्तर जाते समय, जरा भी डर न लगे ।यही माहौल
एक स्वस्थ गाँव स्वस्थ नगर की पहली कसौटी है । दहेज प्रथा' शराब' नशा
'लङकियों को घूरना छेङना गर्भ जाँच करके मार देना, पढ़ने से रोकना और
उनको डॉक्चर इंजीनियर वकील टीचर कलाकार बनने से रोकना सब आज के युग में
अपनी ही पीढ़ी के हाथ पाँव काटने जैसा काम है । जिनका भी किसी भी ईश्वर
में तनिक भी भरोसा है उनको यह भी समय पर समझना होगा कि ईश्वर खुदा गॉड
हमारी मदद करने स्वयं नहीं आता उसने हमें "दिमाग दिया है अक्ल दी है ।और
अपना पास पङौस साफ रखकर हम अपने आप का ही भला करते हैं । पङौस में साफ
सफाई होगी तो हमारे घर में बीमारी मख्खियाँ प्रदूषण वायरस और बैक्टीरिया
नहीं आयेगे ।जो पैसा इलाज और तीमारदारी में जाता है वह बच्चों की परवरिश
पर लगेगा ।
बच्चों को सिखाना समझाना जरूरी है कि आने वाली दुनियाँ में डर नफरत और
गंदगी नहीं वरन हरियाली अमन और परस्पर भरोसा ही जरूरी है । आज सबसे बङी
और भयानक समस्या है आतंकवाद '। जिसने इसलाम को बदनाम करके रख दिया है ।
इस देश से अधिक आजादी कहीं किसी मुल्क में मुसलमान को नहीं है । लोग बिना
भेदभाव के अब तक संगीतकार अभिनेता वैज्ञानिक राष्ट्रपति राज्यपाल शिक्षक
और दोस्त बनते हैं बिना किसी मजहब का नाम दिल में लिये याद करें कि हम
भारतीय है अगर भारत साफ शांत और विकसित है तो हमारी औलादें सुखी है
।बच्चे क्या पढ़ते हैं क्या खाते हैं कहाँ जाते हैं और क्या उनकी सोच है
यह जानना समझना बहुत जरूरी है । बहुत से दूसरे देशों से नौजवान पढ़े लिखे
लङकों को गुमराह करने के लिये जाल बिछाते हैं पैसा औरत नशा और मजहबी फर्ज
के नाम पर धोखा खाने वाले नौजवान बाद में या तो जेल जाते हैं या मार दिये
जाते है या खुद ही मर जाते है ।
उनके परिवार फिर कभी पङौस समाज और खुद अपनी ही बिरादरी कुनबे कुटुंब गाँव
नगर वालों का विश्वास नहीं हासिल र पाते हैं । एक दिन भी अगर बेटा बेटी
नजरों से ओझल है तो हम सब घबरा जाते हैं ',सब को सोचना होगा कि 'हमारे
सामने रहती हमारी औलाद हमारे नियंत्रण हमारे सिखाये हुये रास्ते से बहक
कैसे जाती है ।
दुनियाँ आज एक मुहल्ले की शक्ल ले चुकी है । और बुरी चीजें आसान होती है
अच्छाई सच्चाई ईमानदारी का रास्ता कठिन होता है ।नफरत से केवल तबाही आती
है और प्यार से सुकून, हम हमारा परिवार हमारा गाँव तब तक ही सुरक्षित है
जब तक हमारा देश सुंदर संपन्न सुरक्षित है और यह धरती सुंदर सुरक्षित है
। खूब पेङ लगायें कचरा सङक पर न फेंके, गुटखा शराब बीङी नशा न करें न
करने दें और पढ़ा लिखाकर बेटा बेटी दोनों को स्वावलंबी बनाये । नौकरी
जरूरी नहीं कि सबको मिले परंतु "हुनर "कभी बेकार नहीं जाता । वोट लेने के
लिये सभी दल भेदभाव की खाई खोदकर लोगों को दूसरे मजहब से डराते हैं ',अब
हम या तो भेङ बनकर हाँके जाते रहे और खड्डे में गिरने दें अपने मुस्तकबिल
को, 'या फिर जब जब मिलें सबसे पढ़ने लिखने जॉब करने पेङ लगाने साफ रहने
देश के प्रति फर्ज निभाने और दूसरे झर्म के लोगों से भी मिलजुलकर दोस्ती
भरोसा अपनापन पङौसवाद और देशवासी होने इंसान होने का नाता निभाने की
प्रेरणा दें!!!!!
सबका त्यौहार है ईद दीवाली राखी गणतंत्र 'चलों मिलकर कहें हम सब
भारतवासी इंसान 'रमजान मुबारक चाँद मुबारक ईद मुबारक मेरे भाई बहिनों, '
सादर
_/\_
©सुधा राजे
शेरकोट
बिजनौर
लेखिका स्वतंत्र पत्रकार, अधिवक्ता, सोशल एक्टिविस्ट (नशा और घरेलू हिंसा
के खिलाफ) तथा ब्लॉगर है ।
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sudha.raje7@gmail.com
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