सुधा राजे का लघु लेख :- स्त्री और समाज --सोच कैसे बदले????

सलनान है कौन??
एक नाचगाकर लोगों का मनोरंजन करने वाला व्यक्ति ही तो!!!!
जनता को उसका नाचना गाना तरह तरह की शकलें बनाना आवाजें निकालना रंग रोगन
पोत कर 'भाँति भाँति के स्वाँग रचना मनोरंजक लगता है """""""""""
""""""""'

ये तो गलती सरासर मीडिया और जनता की है जो हमारे हीरो फौजी नहीं पुलिस
नहीं कृषक नहीं लेखक कवि चित्रकार संगीतकार नही और तो और वैज्ञानिक भी
नहीं!!!!!!!!!!!!!!पहलवान और खिलाङी नहीं """


,,,,,,
और बात करते हैं ''इन्ही सब लोगों की नकल उतारने वालो """स्वाँगची की!!!!!



एक महिला पत्रकार है एन डी टीवी की 'मिस शर्मा "
जिनको बुरा तो लगा किंतु "ऐसा कुछ खास बुरा भी नहीं कहा बेचारे ने कि
उसको माफी माँगनी पङे ये लंबा सा लेख उनका काफी चर्चा में हैं ।


उनको लगता है जो पिछली कतार में ठहाके मार रहे थे रिपोर्टर पत्रकार
कैमरामेन वे सब अधिक दोषी है,,, """"
क्योंकि उनको हँसना नहीं चाहिये था!!
और ऑफ द रिकॉर्ड रखना था उस कथन को '''


"""""'"""""""
यहीं सबसे बङी बात है कि जो लोग हँस रहे थे उनमें से किसी में भी इतना
नैतिक साहस नहीं था कि उठ कह सके """ऑब्जेक्शन मिस्टर सलमान """""
?????
बल्कि कुछ लोगो के चुप रहने से पैदा अटपटे पन से खुद सलमान को ही लगा कि
उसने कुछ गलत बोल दिया''


सवाल गलत बोलने का है तो ऑफ द रिकॉर्ड बिग बॉस में अश्लीलता गाली गलौज और
फूहङ पन की हद हो गयी ।

""""""""""""""
क्या सारे पत्रकारों में इतना नैतिक साहस था कि ""सभा में बोलते???
या उठकर चले जाते??

"""कैसे जाते?
बढ़िया खाना पीना भेंट उपहार कौन देता है!!
सबसे अधिक तो फिल्म ''फिर नेता लोग 'फिर क्रिकेट और फिर मत कहलवाईये """""""""
कि खबर देने से अधिक दाबने का खर्चा हो जाता है जब खबरची से आदमी
"जर्नलिस्ट हो जाता है ''लेखक से संपादक हो जाता है ''।
""""""
एक घटना की बात नहीं है 'धर्मेन्द्र से लेकर रणबीर तक की फिल्मों में
'अधिकतर स्त्रीपात्र हीरो की "मरदानगी को हाईलाईट करने के लिये रखी जाती
रही हैं ।

बहुत कम फिल्मे ""गाईड और मदर इंडिया या चोरी चोरी की तरह बन पाती रहीं हैं ।

नायक मिथ्या हो गये '
लोगों को मथुरा कांड में शहीद पुलिस अधिकारियों के नाम बहुक कम को याद
हैं 'क्योंकि वहाँ मीडिया को मसाला नहीं है ।

लोगों को मुंबईकांड में शहीद और मृतक लोगों की कोई खबर नहीं '
क्योंकि मीडिया के लिये मसाला नहीं ।
फुल पेज पर सिनेमा नकली हीरो '""'
और कोने में दो इंच के कॉलम में "कुपवाङा के कारगिल के जम्मू के कश्मीर
के शहीद!!!!!
ओलंपियन!!!!
आत्महत्या करते किसान!!!!!
गरमगोश्त बेचता है टीवी और रंगीन कागज वाला मीडिया '''''
जो बार बार एलानिया पढ़वाया दिखाया जाता है वह दिखता है ।

कैराना कांधला दिखता है '''
सूखा बुँदेलखंड थार और उजङता गढ़वाल कुमाऊँ नहीं दिखता '''''''
'''''
इसमें मसाला कहाँ??
सलमान को चलते समय रेप्ड वुमैन जैसा दर्द होता है ""
ये सोचकर कितनी माँसल कल्पना हुयी होगी माननीय "कलम कैमरा कीपैडधारियों
को ''कि हँस हँस कर लोट पोट हो रहे थे!!!!!!!

""""""""
बात ऑफ द रिकॉर्ड भी रख देते तो गजब न था '
क्योंकि लगभग सारे ही पुरुष ऐसी बहुत कम को छोङकर ""ऐसी भाषा बोल पाते है
जिसमें स्त्री तत्व को गाली न दी गयी हो """""
ये चाहे किसी भी व्यवसाय में हो """"
माँ बहिन बेटी को गाली तो जरूर देते है '''
कई बार तो अपने ही मुख से अपनी ही माँ बहिन बेटी को गाली देते और ठहाके लगाते हैं ।


भारतीयों की सोच ही एक ही ट्रैक पर अटकी है, '
स्त्री सेक्स पैसा सिनेमा शराब और कट्टरपंथी जात मजहब '''

"""""""
सबसे खराब सोच "स्त्री पर उजागर होती है ।
एक स्त्री एक्टिविस्ट पर बमला करने का बढ़िया उदाहरण है ""शनिमंदिर में
प्रवेश को लेकर लङने वाली महिला "
कभी शकल देखने तक से उबल जाने वाले ""मौलवी और पुजारी दोनों ही टीवी पर
एक सुर में सुर मिलाकर """इस मुद्दे पर ति मंदिर मजार में औरत न जाये
""चीखकर भाईचारा जताकर लताङ रहे थे ",,


तो पुरुष बहुल समाज में जब स्त्री पर फिकरा कसा जाता है को "वह मेल टॉक "
न सुनने लायक होता है न लिखने और कहने लायक ""

चेन्नई एक्सप्रेस में शारुख कहता है ""ये मोबाईल बना इसलिये था कि हम माँ
बैन से बात कर सके इसी ने हमारी माँ भैन कर रखी है """

आमिर "थ्री इडियट में चमत्कार की जगह "बलात्कार को अनेकबार
कहलवाकर "चतुर रामलिंगम से ""
सबको ठहाके लगवाता है!!!!!!!!!
!!!!!
बेनाम बादशैह में अनिल को गुंडे से आदमी बनाने का ट्रीटमेंट ""एक लङकी
शादी करके सुहाग बनाकर सुधार देती है जिसका उसने केवल पैसा लेकर रेप
किया!!!!
लङकियाँ जायें और बलात्कारी से शादी कर लें सारा पाप पुण्य बन जाये!!!!


सोच
कौन बदलेगा?????????
कानून बना लोगे
लेकिन एकांत में घूरती आँखें लगते ठहाके उङते अश्लील मजाक कैसे रोकोगे????
ये मीडिया भी 'अभी तक तो मर्दवादी मीडिया ही है '''
आधी दुनियाँ स्त्रियों की है ',
परंतु टीवी पर सिनेमा में """गजनी छाप भय दिखाया जाता है """
अगर बहुत हिम्मत की तो?,, "

??
??
,?और
लोगों को अच्छा भी लगता है
औरतें आयें टाँगे हिलायें कमर मटकायें छाती दिखायें तो सिनेमा में रहे और
टीवी पर ""
औरतें आयें दहेज लायें चुपचाप रसोई बिस्तर बच्चे सँभाले और मन बहलायें
कमाकर भी लायें तो रहें घर पर """""
"""''
वरना,,,
,,,
हर कदम पर ""बोलने को सलमान, 'हँसने को मीडिया और उपेक्षा करने को कानून
पुलिस वकील हैं ।
घृणा और प्रतिशोध के लिये दूसरे मजहब के लोग है, '
हिंसा के लिये पति पिता भाई और हवस का निवाला बनाने के शिकार में घूमते
'मर्दवादी वहशी हैं """"

""""'
सोच कौन बदलेगा???
????
गंगा में नहाते समय भी औरतों की वीडियो बनाते लोगों की?
शादी में चोरी से किसी भी लङकी की फोटो खींच लेते बरातियों की,,
सोशल मीडिया पर भी चोरी से फोटो कॉपी क्रॉप दूषित करते लोगों की???

???
जीना इसी सबके बीच में है तो जो जो जहाँ जहाँ है
आधी आबादी हैं स्त्रियाँ उनको हर स्तर पर रोकना लताङना दंडित करना ही होगा ",,

बिगङैल औलादों के बाप भी माफी माँगे और माफी माँगने में लाज क्यों हो गलत
बोलने कहने करने पर????
सलमान को देश की हर रेप्ड विक्टिम से माफी माँगनी ही चाहिये जिनमें मर
चुकी अमर दामिनी भी है और जीते जी मर मर कर जी रही नाबालिग बूढ़ी युवा
लाशें भी """"
©®सुधा राजे

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