सुधा राजे की टिप्पणी:- देसी खाय, बिदेसिया गाए!!!

अच्छा जी!!!!!
तुम उससे तो हँसकर बतिया रही थी? और हमसे जरा सा मुस्कराना भी पसंद नहीं!!!!!
!!!!
!!!!
क्योंकि हमारी जात फलानी है,,, हमारा मजहब फलाना है,,,,,,
,,,,,
हाँ है तो? चलो ऐसा ही सही तो?
नहीं है किसी स्त्री को किसी एक या कुछ खास खास लोगों के साथ हँसना
मुस्कराना पसंद तो?
वह भी देश की नागरिक है और, वरिष्ठ महिला है '"
इस मुद्दे पर चापलूसी करनेवाली स्त्रियों को ही सर्वाधिक धिक्कार है,,,,,,,,
पार्टी राजनीति में स्त्री अस्मिता और ये उत्तरभारतीय हिंदी भाषी पट्टी
की ""डियर '''बोलने की मानसिकता क्या """"ये स्त्रियाँ नहीं समझती?????
जो बङे बङे पोस्टर लेकर """बेचारे अशोक चौधरी """
को डियर अशोक ""
लिख लिख कर दिखा रही है?????
????
लानत्त है ।
",
अरे हमारा कोई सगा अपना सुपरिचित हमे प्रिय कहे डियर कहे डार्लिंग कहे
हमारी मरजी,,,,,,, अपने से आधी आयु के अनेक भतीजे भांजे "प्यारी बुआ मौसी
"
लिख देते हैं
जिन के लिये दिल में मान प्यार दुलार होता है उनको मिट्ठी झप्पी हम सब भी
लिख देते है ',
किंतु
अनेक बार केवल इसलिए ही कुछ महाशय लोग हमारी लिस्ट से मुक्ति पा गये
"क्योंकि हमको उनका यूँ 'डियर कहना पसंद नहीं आया '"
मरजी हमारी हमारा मन कि हम किससे दोस्ती करें और किससे नहीं ।
वैसे भी आधुनिक अंग्रेजी पढ़े लिखे किशोर नवयुवाओं की बात को छोङ दीजिये
परंतु पैंतीस से ऊपर के सब """उत्तरभारतीय ""
बिहार मध्यप्रदेश दिल्ली यूपी हरियाणा राजस्थान तक सब जानते हैं कि """"
औपचारिक संबोधन में हिंदी भाषी सिवा आदरणीय,माननीय, पूज्यनीय,
के कोई संबोधन बङों को या बराबर की महिलाओं को नहीं देता
माँ दीदी तक को नहीं ",
",,
डियर पिताजी
डियर बाऊजी
डियर बाबा
डियर दादा
डियर ताई
डियर भाभी
डियर दीदी
कहकर देखिये तो घर में!!!!
सवाल पश्चिमी सभ्यता का मत कीजिये
अहिंदी भाषी अंग्रेजी में भी भारतीय परंपरानुसार नमस्कार चरणस्पर्श और रिसपेक्टेड
ऑनरेबल
ही लिखते हैं
डियर का प्रचलित अर्थ अनौपचारिक होना ही है "प्रिय "कहने के संदर्भ मे.
और हर स्त्री को ये हक है कि
वह जिसे न चाहे अनौपचारिक न होने दे
ऊपर से वह एक मंत्री है ""
और दूसरे किसी भी विधायक मंत्री राजनेता को अनौपचारिक होने का हक नहीं ।
""""""""
मामला संस्कारों का है
एक सभ्य परिवार में छोटों को भी आप कहकर बुलाते है और अपनी पत्नी को भी
आप कहकर सीट देकर कार का दरवाजा खोलकर सीढ़ियों से उतरने या मंच पर चढ़ने
में मदद देकर मान सम्मान दिया जाता है । जबकि एक असंस्कृत परिवार में माँ
बाप को भी बच्चे गरियाते रहते हैं ।
अफसोस
उन स्त्रियों की दुर्बुद्धि पर है जो केवल किसी नेता को खुश करने के लिए
चाटुकारिता वश विरोध के लिए विरोध में आकर ""डियर लिखकर प्रदर्शन पर उतर
आयीं ।
जो कि अपनी जाँघ उघाङो खुद ही लाजन मरो जैसी बात है ।
पश्चिम में लोग चुंबन लेकर गले मिलते है बॉलीवुड में भी किंतु क्या
आप हिंदी भाषी लोग """अपने घर पङौस स्कूल में चुंबन लेकर गले मिल सकते हैं?????
हाथ मिलाना तक तो ग़वारा नहीं बीबी का """एक्स क्लासमेट से!!!!!
बात करते है ।
पूछो कि उस महाशय की बीबी बेटी बहिन को सब परिचित "क्यों न डियर कहने लग जायें???
यूँ तो अंगरेजी हमने भी भतेरी पढ़ रख्खी है ।
परंतु
अंग्रेज होना पसंद नी
""""""
©सुधा राजे

email - sudha.raje7@gmail.com



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