Friday 27 June 2014

सुधा राजे का लेख - " कागज़ों का अंधाधुंध इस्तेमाल खतरनाक है मनुष्य और प्रकृति के लिए।"

क्या आप चाहते हैं कि आपके शव जलाने
की बजाय खाईयों में फेंक दिया जाये?
क्या आप चाहते हैं कि आपके बच्चे और
उनके बच्चे केवल तसवीरों में देखें आम
कटहल जामुन बरगद पीपल पाकङ?
क्या आप चाहते हैं कि धरती एक
तपता हुआ रेगिस्तान बन जाये?
क्या आप चाहते हैं कि फिर न
कभी किताबें रहें न पालने?
क्या आप चाहते हैं कि बकरियाँ गायें
बैल भैंस भेङें ऊँट खत्म हो जायें?
क्या आप चाहते कि आगे
वाली पीड़ियों को फल सब्जी न मिले
बस स्वाद का कैमिकल फ्लेवर कैपसूल
या दवा के रूप से मिले???????????
तो क्यों नहीं समझते कि आप एक पेङ
रोज खत्म करते हैं लेकिन लगाते एक
भी नहीं!!!!!!!
तो?
टिशू पेपर बंद कीजिये ', रूमाल एक
ही रूमाल हजारों बार धोकर
इस्तेमाल किया जा सकता है ।
कागज के दोने पत्तल बंद कीजिये
''थालियाँ माँज कर बार बार
इस्तेमाल करें और अगर संभव
हो तो ""पत्तों "की पत्तल इस्तेमाल
करें जो वापस खाद बनकर पेङों के
काम आती हैं ।
टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल बंद कर दें
। भारतीय तरीका ज्यादा सही है
और प्रकृति मित्र भी ।
कागज के बने लिफाफे अगर
रिसाईकिल्ड कागज के
हों तभी इस्तेमाल करें ।
फ्रेश पेपर बैग बनाना बंद करायें ।
इनकी जगह एक दरजन घर से
ही थैला थैली झोला आदि लेकर
बाजार जायें और घर के पुराने मजबूत
कपङों से ही सुंदर शॉपिंग सैचल बैग
थैले झोले तैयार करें ।
नर्सरी और केजी कक्षाओं का अभ्यास
कार्य स्लेट और पाटी पर बार बार
कराकर याद करायें । क्योंकि तब
कोई रिकॉर्ड
तो रखना नहीं होता केवल
वर्णमाला गिनती पहाङें एल्फाबेट
ही सिखानी होती है ।
हम #भारतसरकार से निवेदन करते हैं
कि ""कक्षा नर्सरी से कक्षा दस तक
के पाठ्यक्रम में
"""राज्यभाषा राष्ट्रभाषा अंतर्राष्ट्रीय
भाषा की एक एक पुस्तक रखकर ""एक
रूपता लायी जाये पूरे ही हिंदुस्तान
के सेलेबस में जो प्रतिवर्ष जीके और
विज्ञान के अविष्कार की नवीनीकृत
जानकारी की एक अपटूञेट पुस्तक
रखकर
"""पाँच साल """पर ही किताबें
बदलने
की अनिवार्यता जारी की जाये ।
इससे तरह तरह
की ""रंगबिरंगी किताबें अंधाधुंध
छपनी बंद होंगी । और "समाचार
वाचनालय प्रथा फिर चालू करके
बच्चों को अपटूडेट
जानकारी दी जा सकेगी । और तमाम
किताबें जो हर साल
रद्दी हो जाती हैं ""सेकेंड हैंड थर्ड
हैंड और फोर्थ फिफ्थ हैंड ""तक
पढ़ी जा सकेगी इससे कागज बचेगा पेङ
बचेगे ""माँबाप
का पैसा बचेगा ""प्रकाशकों की गलाकाट
मनमानी और निजी स्कूलों की ठगई से
बच्चे बचेगे और एकरूपता रहेगी पूरे
भारत की शिक्षा में ""पढ़ो चाहे
किसी स्कूल में एक ही कोर्स
रहेगा एक कक्षा होने पर
सबका ""और गरीब
बच्चों को सस्ती किताबें मिल
सकेगी । बच्चे किताबें सहेजने की आदत
डालेंगे । शिक्षकों के पढ़ाने में
गुणात्मक सुधार होगा और माँबाप
को अपने बङे बच्चे की किताबें छोटे
बच्चे के लिये काम आनी है यह पङौस
तक के काम आनी है यह ""बजट राहत
मिलेगी ""
सबसे बङा कदम होगा ""कागज
की बरबादी आधे से भी कम
हो जायेगी ।
सरकारी दफ्तरों में ""रिसाईकिल्ड
पेपर ही इस्तेमाल करने के निर्देश
दिये जायें ।
और कागज मिलों पर कङे नियम लागू
हों कि ""हरे पेङ इस्तेमाल न करें ""
लोगों में सामाजिक चेतना लायी जाये
कि ""बजाय बङा सा ग्रीटिंग
या निमंत्रण पत्र भेजने के ""डाक
पोस्टकार्ड को निमंत्रण पत्र मैटर
लिखकर या छापकर पोस्ट किये जायें
और डाक विभाग ऐसी योजना चलाये
जिसमें सस्ते खुले पोस्टकार्ड शॉर्ट
मैटर के साथ डाकघर प्रिंट कर दे
ताकि लोग शुभकामना और निमंत्रण
पत्र भेज सकें ।
मोबाईल और इंटरनेट के भेजे
संदेशों को ही कुटुंबी परिजन
मित्रजन ""निमंत्रण पत्र
""की मान्यता दें और सूचना मिलने
की बिना पर उनको आगंतुक मान
लिया जाये ।
परिचय पत्र पासबुक रसीदबुक और
तमाम बहीखाते रजिस्टर
""रिसाईकिल्ड पेपर से बनाये जायें ""
घरों में "वुडनवर्क ना करायें "और
लकङी के फर्नीचर की बजाय "केनवुड बाँस
बींङ के मूढ़े कुर्सियाँ आदि इस्तेमाल करें
""

नेताओं के ""पेपर परचे बैनर फ्लैक्स
होर्डिंग की बजाय ""टीवी नेट और डोर
टू डोर प्रचार """अनिवार्य कर दिये
जायें """हैंडबिल पर रोक लगायी जाये।
पेपर मिलें ""जितना पानी बरबाद
करतीं है उतना तो बूचङखाने भी मांस
धोने में पानी बरबाद नहीं करते इसलिये
उनपर दवाब डालक """वाटर
रिसाईक्लिंग प्रोजेक्ट लगवाये जायें

लोगों को बढॉवा दिया जायें
कि घरों की बाहरी दीवार ""प्रचार
कार्य के लिये लिखित दिनांक तक
किराये पर दें ताकि दीवार लेखन से
प्रचार हो और """परचाबाजी में कागज
बरबाद न हो "
©® सुधा राजे


--
Sudha Raje
Address- 511/2, Peetambara Aasheesh
Fatehnagar
Sherkot-246747
Bijnor
U.P.
Email- sudha.raje7@gmail.com
Mobile- 9358874117

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