लेख..नकल करने से क्या जड़े मजबूत रहेंगी देश के मानव संशाधन की मंत्री जी

#MyYogyAadityaNath
आप उत्तरप्रदेश में रहते हैं ?
या उ.प्र. विशेषकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश वालों के संपर्क में रहते हैं तब
यह अवश्य करें कि एक बार
सरल से सरल
""इमला बोल दें
और कहें केवल सुनकर लिखते जायें ,जब पूरा एक पृष्ठ रजिस्टर वाला भर जाये तब बारीकी से जाँच करें ,
और देखें कि कितनी शुद्ध कितनी अशुद्ध इमला है यानि श्रुत लेखन ,हिंदी या अंग्रेजी दोनों का ,
कक्षा ,चुनौती पाँचवी से बारहवीं तक ,और बहुतायत स्नातक तक भी ।
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यह स्तर यूपी बोर्ड के पढ़े लिखे विद्यार्थियों का हम नित्य देखते समझते हैं ।
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तो सत्य ये है कि ठेका रहता है
सरकारी विद्यालयों में "पास कराने का ,
पिछले कई दशकों से ,और यह अकेले सपा बसपा नहीं बीते कई दशकों की कहानी बिगड़ने से बिगड़ा है ,
पचास से सत्तर प्रतिशत तक में पास युवक
,जिस तरह अनभिज्ञ हैं कि आश्चर्य होता है ,
देश समाज राज्य राष्ट्र से उनको क्यों नहीं पढ़ा सके ?
वे आरक्षण से नौकरी पायें या लकड़ी का खोखा सजाकर रोजी चलायें
"विद्या तो नहीं ही चढ़ी "न ही जागृत चेतना ,
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पास कराने के लिये ही नहीं प्रैक्टिकल के तीस तीस नंबर जो मास्साब के हाथ में रहते हैं वे सब भी रुपया लेकर दिये जाते रहे हैं ,
और सघन आकस्मिक निष्पक्ष जाँच का विषय है कि क्यों नहीं सचमुच" प्रयोग "करवाये जाते रहे ?
क्या
कुछ विद्यार्थी भी ऐसे निकलने की आशा है जिन्होंने नंबर पाये तीस पच्चीस वे उन सब प्रयोगों को स्वयं बिना किसी ,
की नकल मदद के दुबारा स्वयं सबके सामने कर के दिखा सकें ?
नहीं,
हमारा दावा है कि ,बहुत बड़ा प्रतिशत यूपी बोर्ड के विद्यार्थियों का कभी प्रयोगशाला में कुछ भी कर ही सकता है ।
अब बात आती है नकल
रोकने की,
यह उनके हित में है ,
जो पढ़ते हैं दिन रात स्वयं की मेहनत लगन या ट्यूशन कर करके या माँ बाप से बड़ों से या किताबों से जूझकर और निराश होते रहते आये हैं जब जब देखा कि ,
अरे ये तो गाईडें धरने पर भी नकल नहीं करने वाले लोगों की भीड़ है जिसे मास्साब मैनेजर स्टाफ ठेकेदार नकल करवाकर पास ही नहीं डिवीजन दिलवाये दे रहे हैं तब
,वह क्या करेगा ?
हताश मन हो जाता है उसका जब नकलची नहीं नहीं बिना नकल तक करे ही केवल ठेका देने से काॅपी किसी दूसरे ने लिखी और सेकेंड फर्स्ट डिवीजन से पास कोई और हो गया जबकि दिन रात विरागी रहकर पढ़ता विद्यार्थी उससे कम अंक पा सका ।
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ये व्यवस्था सपाराज में नहीं सुधरी तो क्यों ?
लिखा तो हमने तब भी था ,तत्कालीन सरकार को ,
क्योंकि उनको डर था कि सख्ती की तो इन बिना नकल तक किये हुये पास होने वालों के वोट नहीं मिलेगे ।
योगी सरकार को एक और साहसिक निर्णय के लिये ,बधाई देने की आवश्यकता है ,
जो वोट मिलें या न मिलें की परवाह किये बिना देश की मूल समस्याओं प्रदेश की मूल बीमारियों का इलाज करने में जुटे हैं इस भावना के साथ कि जो घर फूँके आपना सो कासे डर जाये ,
लाखों रुपयों का खेल नकल करवाने और बिना नकल तक किये ही काॅपी लिखवाकर बदलने के खेल में यूपी बोर्ड की मान्यता वाले स्कूलों का ,पूरी ही पीढ़ी को निकम्मा कर देने और अयोग्य बेरोजगारों की मानवसंसाधन श्रंखला खड़ी देने की जो अक्षम्य कारस्तानी चलती रही है वह देश की जड़ें नष्ट करने जैसी है ।
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चले हैं विश्व को समझने समझाने ,क्या उन युवाओं के दम पर !!
जो नौकरी तो प्रथम श्रेणी की चाहते हैं धरना दंगा जुलूस तोड़फोड़ हिंसा अश्लीलता छेड़छाड़ में सबसे आगे हैं ,
परन्तु
विद्यालय में 75%उपस्थित नहीं रहते ,
न ही कक्षा एक से पंद्रह तक कभी पूरा सिलेबस पढ़ते हैं ,
न ही इस योग्य हुये कि यदि नौकरी न मिले तो कुछ हुनर कला श्रम ही करके खा कमा लें ,
उनको आरक्षण की नाव का आसरा है जो मलाईदार पदों पर मुफ्त की तनख्वाह दिलायेगी बस एक अंकसूची तो मिले फिर पढ़ा लिखा वर कहकर दहेज वाली बीबी मिल जायेगी और लड़कियों को आशा है कि अंकसूची के दम पर कमाऊ लड़के से शादी हो जायेगी ।
नकल तक तो करना सिखा देते मास्साब !!
दावे से कहते हैं कि ,
आप किसी भी हाईस्कूल तक इंटर तक के युवा को एक कठिन सरल नकल करने को दें ,पूरी पूरी संभावना है कि वह बिना शब्द का अर्थ समझे ही नकल उतारेगा और वह भी अशुद्ध ,
ऐसी पीढ़ी जो पिछले दो तीन दशकों में जयशंकर प्रसाद निराला मैथिलीशरणगुप्त सुमित्रानंदन पंत महादेवी वर्मा के प्रदेश से निकली है ,
देश या समाज के किस काम की है ?
जनसंख्या के अनुपात में राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय ज्ञान विज्ञान में प.उ.प्र.विशेष कर ,यूपीबोर्ड वालों का कितना हिस्सा है यदि कोई आँकड़ा बिना आरक्षण का धक्का ठेले सफल हुआ हो कहें ,
हालत दावा है हमारा कि ऐसी है कि पाँचवी का बच्चा दरअसल अनपढ़ सा ही है जो चित्रलिपि की भाँति नकल उतारता रहता है और मन मस्तिष्क में कुछ नहीं घुसता उसके न गुणा भाग जोड़ बाकी न ही व्याकरण ग्रामर निबंध कविता के अर्थ ,शब्दों का कंगाल विद्यार्थी तैयार होकर नौकरी के लिये चीखता है ।
यह देश को अयोग्य नालायक निकम्मी स्वार्थी मानव संसाधन सामग्री देने जैसा भीषण अपराध है ।
#PrakashJavdekarji
©®सुधा राजे

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