दोहे: सुधा दोहावली
#MyYogyAadityaNath ji
जोगी तेरे जोग ने जोरी होरी फाग
या नूँ कैबे बाबरा ,या नूँ कहे विहाग
ठाठ फकीरा जोगिया निपट निडर नि:शंक
जोगी तू कासौँ डरै तो सौँ डर बै कंक
,रंग बिरंगे थार में रोरी रंग अबीर
जोगी तेरे जोग में गोरख सूर कबीर
जाकौँ भाबै रंग सो रंग हि रंग लगाए
जो निरंग निरमन रहे सो क्यों रँग विच आए
गूढ़ हृदय की मूढ़ मन ,तन की कूढ़ निकार
जोगी तू भवबंध तजि ,दै सब मोह विकार
©®सुधा राजे
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