दोहे: सुधा दोहावलि

सुधा राजे के दोहे
.......
"सुधा"पीर प्रारंभ है ,हर्ष मध्य व्यवहार
पुनः वेदना अंत है ,करो सत्य स्वीकार
...........
अपनी अपनी सब करें ,स्वारथमय संसार
ना रिपु ना कोइ मित्र है ,करो सत्य स्वीकार
..........
जो करनी जैसी करे ,अंत भरे सब हार
देर सवेरे ही सही ,करो सत्य स्वीकार
..........

रीते मन छलकत फिरें ,भरे हृदय नत भार
ओछे निज करनी बकें ,करो सत्य स्वीकार
............
©®सुधा राजे

Comments

Popular Posts