दोहे:सुधा दोहावलि

Sudha Raje
तर्कशास्त्र ही तो नहीं
जीवन के संग्राम
सुधा बापुरी सरस्वती
भयी विलुप्त अति घाम
आशा भेषज ही सही
अलंकार विश्वास
जलप्लावन में ज्यों कुटी
पर्ण वर्ण सी त्रास
मधुर लगें कविता कटक
करूण भाव के गीत
कवि कैसे हूँ क्या कहे
लिखे कौन भवभीत
आशीषित पारस प्रबल
परनकुटी रैदास
लोहे की राँपी वही
रही विरागी पास
जानत हूँ कस बूझिये
का
है
मन
के कूल
सुधा समय की भूल है
समय सुधा प्रतिकूल
Sudha Raje

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