लेख:मुहब्बत गुनाह है तो उसका महिमामंडन बंद करें

अगर मुहब्बत बरदाश्त नहीं तो उसकी वकालत भी करना बंद करें शायरी में और तकरीर में ।
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ये मुहब्बत इश्क़ उल्फ़त शौक़ निसबत माशूक आशिक मेहबूब शब्द निकाल फेंकिये दिल दिमाग से ।
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ये एक खबर पढ़ी थी कुछ ही महीनों पहले ।,

मेरठ की एक लड़की थी मदरसे में पढ़ाने लगी सहेली के कहने पर मुहब्बत में पड़ गयी और लड़का ले गया मुजफ्फरनगर वहाँ मांस खिलाकर मज़हब बदलाया फिर एक किताब पढ़ने को देकर यकीन कराया कि उसका धर्म देवता कल्कि अवतार ले चुका है फिर लड़की एक के बाद एक का खिलौना बन गयी बाप भाई के कत्ल की धमकी दे देकर छिपे रहने पर विवश रखा ,लड़की बरामद करने पुलिस गयी भी तो वहाँ परदानशीन औरतें थी निराश लौट गयी लड़की वहीं थी बेबस ,
बाद में लौटी तो करुण कहानी सबके सामने थी ।
यह खबर सबने पढ़ी थी न !!
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फिर एक खबर पढ़ी ,
कि एक लड़की को कुछ बजरंग दल वाले मुक्त कराने के लिये एक जगह हंगामा कर रहे थे ।
फिर लड़की ने बयान दे दिया वह निजी मामला है वह मुहब्बत करती है ।
लड़के का लड़के के भाई का बयान आया नेता बोल पड़े कि वो लड़की मुहब्बत करती है मुहब्बत करना कोई गुनाह है क्या ।
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फिर ऐसे ऐसे समाचार पढ़े ,कि
लड़कियाँ जब डरने लगीं यूपी में दिल्ली में बैंगलौर में .....
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फिर एंटीरोमियो पुलिस्क्वाॅयड बनी ,
अभिभावकों ने चैन की साँस ली मेधावी लड़कियाँ प्रसन्न हुयीं ,
तभी चीख पुकार मचाने लगे मुहब्बत के मसीहा नेता अभिनेता ताड़काओं को आगे करके "मुहब्बत ज़ुर्म है क्या ?
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पुलिस को पीछे हटना पड़ा ,
ये लव सही है या मुहब्बत ?
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या ये किसी तरह की साजिश का हिस्सा है ,अक्सर माँ बाप चिंता में पड़ जाते हैं
जब
लड़की को करीब की दुकान वाला हर सामान की खरीद पर दो रुपये की छूट देने लगता है और लड़का शायरी सुनने लगता है ।
मुहब्बत ग़ुनाह है ,
मुहब्बत करने वाला गुनहगार है तो बच्चों में यह संदेश जाने दिया जाये कि मुहब्बत गुनाह है गुनाह की सज़ा किसी भी हद तक हो सकती है ईश्वर बदलने ,बलात्कार सहने से गला रेते जाने तक ।
मुहब्बत और जंग में कोई अंतर नहीं है न ,©सुधा राजे

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