कविता गीत कहानी जैसे .......
आँखों सूखा पानी जैसे ....
जैसे रेत नदी को पी गयी ...
.पी गये दर्द जवानी जैसे ....
जैसे खत बेनाम न पहुँचे ..
सब सहने की ठानी जैसे ....
दोस्त कह दिया यूँ ही लेकिन .
....पल भर नहीं निभानी जैसे ....
एक गया तो दूजा आया
दर्द करे मनमानी जैसे ..
"सुधा " समझ तो लिया सत्य को
फिर भी उमर बितानी जैसे ©®सुधा राजे
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