आत्मालाप:जिसे तुम जानते नहीं उसे तुम क्यों सताते हो

राजा विराट के यहाँ "युधिष्ठिर अज्ञातवास पर थे ""अहंकार क्रोध अज्ञानतावश युधिष्ठिर पर प्रहार कर दिया राजा के  श्याले ने ,युधिष्ठिर ने ''कृतज्ञताज्ञापन हेतु अपना रक्त विराट की भूमि पर गिरने नहीं दिया,कारण पूछने पर बताया तब नहीं ,बाद में प्रकटीकरण के दिन पुन: विराटराज ने पूछा तब बताया
कि राजन मेरा रक्त आपके राज्य की भूमि पर गिरते ही दुर्भिक्ष या जलप्रलय हो जाती
हमें सबक लेना चाहिए ,
सरल मन सेवक ,सहायक ,यात्री अतिथि मातहत जीव जंतु निरापद प्राणी9ो न सताना है न उसके आँसू और रक्त अपने घर भवन राज्य भूमि पर गिरने देने हैं ।
""क्योंकि चाहे गुप्तवास अज्ञातवास वनवास दुख दुर्दिनवश छिपकर समय काट रहा हो ,कोई तपस्वी यती योगी नैतिक धार्मिक संत सरल सात्विक जीव कहीं रह रहा हो ,उस हिस्से में अपने आप उन्नति बरकत विकास तरक्की प्रकृति कृपा होती है ,,,,,इसके विपरीत यदि वहाँ के निवासी उस सात्विक जीव को दुख देते हैं उसका रक्त आँसू दुख का कारण बनते हैं तो वह हिस्सा ,,,,प्रकृति के प्रकोप का कारण बनता है ,,,,,,पश्चिमी यूपी ,बिहार बंगाल केरल असम बांगलादेश ,,,,की धरती पर तो रक्तपात हिंसा का खुला खेल होता रहा है ,,,,,,गाय और संत सबका दर्द बिखरा है ,स्त्रियों कन्याओं का जमकर अपमान हुआ है ................प्रकृति का दंड भी समझ नहीं आता ???ऊपर वाले को किस मुँह से याद करते हो ?©®सुधा राजे

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