संस्मरण: सुधा विषपायिनी, एक अंतिम इच्छा की मौत से पहले मौत
काॅन्वेन्ट स्कूल की नन ,सदा ही अनुशासन और कठोर नियमों से बँधी शैली में रहने वालीं दिखतीं ,वहीं पादरी जिनको लोग फादर और नन को सिस्टर कहते हैं ,नर्स या शिक्षिका बनतीं रहीं हैं ,मूल कार्य तो रहा है ""क्रिशिचियनिटी का व्यवहार प्रचार वातावरण और भावना तैयार करना ,उसमें 100%सफल रहे हैं काॅन्वेंट स्कूल औऱ मिशनरी अस्पताल ,चाहे कितना बड़ा पढ़ा लिखा बड़ी पोस्ट का व्यक्ति हो ,क्रिश्चियन कर्मचारी सुनते है 50% तो वह सकारात्मक हो कर सोचता है ""
"स्ट्रिक्ट नियम पालन करने वाला बहुत पढ़ा लिखा अंग्रेजी वक्ता""""50%में रहन सहन पहनावा पद काम करता है ,जबकि न जाने क्यों जैसे जैसे करीब से जानते गए ,चकित होते गए ,अंग भंग ,दमन कारी रहनसहन नियम ,पादरी विवाह बच्चे सब कर सकता है नन सर्वथा कुँवारी ही रहेगी ,नन कभी चर्च की प्रधान नहीं बन सकती ,नन रंगीन कपड़े खुले बाल बजट से अधिक व्यय स्वयं पर नहीं कर सकती , नन के पास मोजे जूते दस्ताने स्वेटर हैं या नहीं यह चंदा दान चैरिटी डोनेशन जुटाने की उसकी क्षमता पर है ,वह कितना माँगकर चर्च के दिला पाती है ,समझा पाती है ,एक कठोर रहस्यमय गुप्त वातावरण बना ही रहता है नन के हर ओर ,वह न सामाजिक जीवन में सक्रिय भाग ले सकती है ,न ही स्वयं के लिए संपत्ति साधन सुविधा जुटा सकती है ......,नन पर रहम दया करुणा तब से रहने तो लगा परन्तु ,,,,,उनकी क्रूरता भरी सख्ती से भी गुजरे हैं ...........भाभी सा का देहान्त होने से पूर्व ,सन् 2003 -2004 की बात है ,एकाएक हार्टअटैक के बाद पड़े पैरालायसिस के 24 घंटे बाद एक पल के होश में उन्होंने अपनी इकलौती संतान को देखने की याचना सी की, हम भागकर स्कूल पहुँचे "होली क्राॅस मिशन आश्रम स्कूल " वहाँ विज्ञान मेले में भतीजे ने भी भाग लिया था ,बहुत समझाया कि बच्चे को जाने दीजिये .उसकी माँ अंतिम हालम में है ..........किंतु नन का उत्तर था ""मैम समझती है बहुत हुशियार है ""अम सब समज्ती ऐ ,एसा बआना रोज बनाता लोग ,,,,,,,नो मटलब नो ,बचछा पूरी छूटी बाद जायेगी .........,,,,,,सचमुच जब बच्चा घर पहुँचा उसकी माँ की पूरी छुट्टी हो चुकी थी .......अगले दिन हम सब उस मासूम को अलग अलग छिपाते फिर रहे थे कि माँ अभी अस्पताल में हैं ,जबकि घर में बन्द कमरों में सब पछाड़ ले ले कर चीख कर रोे रहे थे .............(सत्य संस्मरण )©®सुधा राजे
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