लेख: स्त्री क्यों रो पड़ती है

क्यों रोई वो
हर लड़की रो क्यों देती है ?
जब पहली बार स्कूल जाती है
जब पहला पदक मिलता है
जब पहली बार अपनी सेलरी मिलती है
जब कहीं अपने नाम से पहचान मिलती है
.
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तुमने यदि कोई ऐसी लड़की देखी हो तो समझोगे
जिनको बचपन में ही हर बात पर मिलती हैं सख्त हिदायतें
हर राह पर मिलते हैं घूरने वाले
हर तरफ से मिलता है डराने वाला बयान
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वह लड़की जब छू लेती है
पग पग पर छिलते छालों की टीसों के बीच से निकलकर एक टुकड़ा भर आसमान ,
तो रो देती है
हर छाला
उस पल के लिए एक पदक बन कर याद आता
जब देश की समाज की नगर  गाँव की परिवार की
पगड़ी का डर दिखाने वाले
परचम लहराने का हक छीनता पाते हैं लड़की को ,
तो उस धुन में बहते हैं आँसू ,दर्द की हर याद बनती है आह्लाद
हाँ
यही तो सपना था
पर लगता कब था साकार हो जायेगा
अरे ""मैंने तो कर दिखाया ""
दो आँसू ,राष्ट्रगान ,ध्वज और सम्मान
देखना ध्यान से दिखेगा उस दर्द के हर्ष में कहीं वह झुकता सा मुट्ठी भर आसमान ,
आसान नहीं है केवल लड़की होना ,
लड़की होकर आकाश छू देना तो बिलकुल नहीं ,
वह भी गाँव की किसान की लड़की होकर !!!
ये बयान उन आँसुओं का है
ये आसमान उस लड़की का है
शाबास #हिमादास
©®सुधा राजे

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