Wednesday 23 April 2014

शाम कहती है

शाम कहती है कि साँसों की जरूरत
क्या है ',
औऱ् ज़रूरत ये बताती है कि ज़ीना है
अभी ',
जाओ सो जाओ तुम्हें नींद अगर आ जाये ',
दर्द साक़ी है नया मुझको तो पीना है
अभी ',ये रिदा है कि क़फ़न है कि है
रूपोशी ये ',
बेसवाहिल है सुधा
ख़स्ता सफ़ीना है अभी
©®सुधा राज

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