सुधा राजे का लेख :- ""ये कौन पत्थरकार हैं???"""

कई बार हम इस बात पर आपत्ति जताते आये हैं कि """"""मीडिया में क्रिमिनल
का चेगरा तो ब्लर कर दिया जाता है """""किंतु अनेक छोटे बङे पत्रकार
अखबार और चैनल अकसर कहीं भी आती जाती बैठी खङी और खाती पीती पूजा करती
नाचती या झगङती "स्त्री का फोटो "
★बिना उसे बताये बिना उससे पूछे और राजी लिये कहीं भी छाप देते अपलोड कर
देते हैं और दिखा देते हैं """"


बारिश में भीगती लङकियाँ!!!!!!

अजी पत्रकार साब !! लङके क्यों नहीं दिखते????????

धूप से चेहरा ढँकतीं लङकियाँ!!!!!!!ओ जी फोटूगिर्राफर!!साब !!!! बुजुर्ग
और लङके भी तो मुँह ढँकते हैं धूप से!!! वे सब क्यों नहीं टिपते????

कहीं न कहीं ""का तकिया कलाम हकलाते र्रीपोर्टर्र लोग भी कैमरा वहाँ के
हालात पर कम युवतियों और महिलाओं पर ही फोकस करते रहते हैं अकसर????


किसी "सगे की मौत पर विलाप करती महिला को होश नहीं सुधबुध नहीं और नितांत
निजी भावनात्मक पलों की तसवीर बिना उसके चाहे मरजी लिये ""दिखाना??????


कहीं पति पत्नी में झगङा हो रहा है (इन टपोरी पत्रकरुओं का भी होता ही है
अकसर बीबी माता बहिन बेटी से झगङा तो) उस झगङे को भी तत्काल चटपटी खबर
बनाकर डाल दिया??,??????


कल को सारा समाज जो जो नहीं भी जानता उस लङकी उस स्त्री का जीना हराम कर देता है ।

ऐसे हजारों मामले आते रहे हैं कि ""मीडिया में इतना फोकस कर दिया
फोटोग्राफरों ने किसी लङकी या स्त्री को कि उसकी 'अस्मिता ही खतरे में पङ
गयी "

अकसर उन लङकियों को पता ही नहीं!!!!!!!

क्या लङकियाँ कहीं निकले आयें जायें ही नहीं?????

पूछो पत्तरकार महोदय जी से उनके के परिवार की औरतों से कि अगर तुम्हारा
भी फोटो 'चाट खाते 'ब्यूटीपारलर जाते 'छत पर बाल सुखाते बारिश में मजबूर
बाईक या कार से उतरकर पेङ या टीनशेड के नीचे खङे होते या कॉलेज स्कूल
अस्पताल कहीं भी आतो जाते 'सिनेमाहॉल या कैंटीन ढाबे होटल में से,,,,,,,

क्लिक करके "अपलोड कर दें और हजारों लोग कमेंट्स करें तो पत्तरकार साहिब
को लगेगा अच्छा?????

क्यों?
केवल इसलिये कि स्त्री ""आई कैचिंग मटेरियल बना डाली है मीडिया ने,??????

तो हैं न हाजिर हजारों मॉडल्स!!!!!
दाम दो फोटो लो?????

कई लोगों के तो फोटो "महिला मजदूरनी का झोपङा और वर्कप्लेस पर दूध पिलाते
फोटो चोरी से???
गंगास्नान पर नहाती महिलाओं के फोटो,????

छिः छिः छिः
डूब मरो चुल्लू भर पानी में!!!!

देश में अपराध है अव्यवस्था है और सजनात्मक उपलब्धियाँ है उनके लिये न
दिमाग है न समय,,,

तो ऐसे लोगो को कहे क्या?? भँडवा या दलाल?
जो बिना इजाजत किसी स्त्री के निजी पल सार्वजनिक करके रोजी रोटू कमाता है????
लानत्त, धिक्कार


एक बात की गारंटी है कि अगर पता चल जाये उन सबको तो """पत्तरकार को ""सदा
को बेकार बेगार कर डालें वे सब """

किंतु नहीं
अकसर लङकियाँ जिनके फोटो बिना इजाजत खीचे जाते हैं उनको पता ही नहीं होता '

और होता भी है तो डरी सहमी या घबरायी या अनभिज्ञ और धोखे में होती है ।

कई स्त्रियों को पता ही नहीं कि उनका फोटो "नेट पर खबर में प्रिंट में
टीआरपी और कमेंट का मुद्दा है ।

ये एक अपराध है
और ऐसा हर फोटोपत्रकार और इसे छापने वाला अखबार मीडियाचैनल और सोशल
मीडिया एकाउंट धारक ""एक अपराधी है ""
जागरूक प्रत्येक नागरिक का कर्त्व्य है कि महिलाओं का जीवन उनकी
"प्रायवेसी उनका मौलिक हक है "और बिना उनकी मरजी के इस तरह के फोटो खीचना
चुराना छापना दिखाना शेयर करना गंभीर अपराध माना जाना चाहिये ।

ऐसे लोगों पर तत्काल काररवाही होनी चाहिये ताकि आप सबके परिवार की
महिलाओं की गरिमा और प्रायवेसी भी सतत सुरक्षित रहे ""
©®सुधा राजे


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