कविता, जीवन का एक मकसद और खाली तरक़श

जीवन का एक मकसद होता है
आप अगर स्त्री हैं
आपको भी लगा होगा
कि एक मकसद सा कुछ था तो
जब आपको अहसास दिलाया जाता है
क्या तीर मार लिये????
तब
याद आता है
तीर तो मार ही लिये होते
लेकिन
जो तीरंदाज नही थे
उनके तरकश
भरने में
बीत जाने दिया
ये
एक सच
जिस दिन पता चलता है
कङकङ करके बहुत कुछ टूट जाता है
कोई जाग जाता है
कोई जानबूझकर
जी चुराता है
आज
सोने
से पहले
अपना खाली तरकश देखना
और
मुँह मत चुराना
तुम
अब भी
नये तीर बना सकती हो चला भी
©®¶©®SUDHA  RAJe

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