पश्चिमी उत्तर प्रदेश :: सुधा राजे का लेख।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश ::::सुधा राजे का लेख ,
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प.उ.प्र. का हर हाईवे हर नगर हर कसबा एक भयंकर भू अतिक्रमण का शिकार है
,तालाब पर कूड़ा डालडालकर खुद नगरपालिका वाले मेंबर चेयरमेन ही कब्जा
अपने मजहब वालों को करवा देते हैं और जहां भी दिल्ली से गंगोत्री तक
सड़कें हैं तत्काल खोखे टप्पर टीनशेड ठेला और चलतूदुकान लग जाती है
,तीर्थों पर मीट बिकने लगा है ,कहीं अचानक एक चबूतरा कच्चा दिखने लगता है
महीने भर बाद ही वहां अगरबत्ती और कुछ महीनों में चादर फिर जियारत होने
लगती है ,एक मरम्मत की दुकान बनते ही आसपास मिट्टी डालकर चौड़ा खुला
मैदान कर लिया जाता है फिर कुछ दिन बाद वहां गैराज बन जाता है ,चौड़ा पथ
चबूतरा फिर बरामदा फिर उसपर बालकनी फिर नीचे शौचालय और दुकानें बनाकर
सँकरी गली बना दी जाती है ,हर बड़े प्राचीन मंदिर या पीपल बरगद के पास
कबरिस्तान या मजार या दरगाह नयी नयी बन ही जाती है या पुरानी होती है तो
चारदीवारी सरकती जाती है ,
प्रतिक्रिया में कहीं कहीं मंदिर भी दिखने लगे हैं नये बने जो कि अधिकतर
खेतों के सड़क तरफ के हिस्से पर बनते जा रहे हैं बड़ी बड़ी सीमेन्ट की
भौंडी और वार्निश पोती हुयी प्रतिमायें वहां खड़ी कर दी गयीं हैं जो तनिक
भी मन नहीं खींचती ,दूसरी ओर प्राचीन और राजतंत्र के भव्य मन्दिर किले
हवेलियां सब ध्वस्त उपेक्षित पड़े हैं ,बीच में एक प्रयास हुआ भी था
पुराने मंदिरों के जीर्णोद्धार का सो वह जाति मजहब की राजनीति में फँसकर
ठप्प हो गया है ,मन्दिरों के नाम पर बनी कमेटियाँ चंदा तो ले लेतीं हैं
परंतु जाता कहां है हिसाब नहीं ,दरगाहें मसजिदें और मजारें हर तरह की
आधुनिक सुविधा से लैस हैं और बहुतायत गैर मुसलिम भी हर गुरूवार को वहां
चादर अगरबत्ती करने झड़फूँक और ताबीज लेने धागे गंडे और किया धरा नजर
टोटका टोना उतारने जाते हैं । मौलवियों कारियों उलेमाओं के पास गैर
मुसलिम भी खूब जाते हैं और वे कागज की पुड़िया पर कुछ उर्दू अरबी में
लिखकर दे देते हैं जिसे जलाकर पीड़ित को धुँआ सुँघाने से ऊपरी बला खत्म
हो जाती है या फिर पुड़िया पानी में घोलनी होती है जिससे लिखावट घुलकर
पिलायी जा सके कागज सुखाकर जला दिया जाता है ,लोगों को विश्वास है कि लाभ
होगा तो होता भी है ,।हर तरफ दीवारों पर अखबारों पर विज्ञापन भरे पड़े
रहते हैं बंगाली बाबा तांत्रिक बाबा मौलाना साब वगैरह ,साफ साफ लिखा रहता
है सौतन से छुटकारा तलाक या मुहब्बत लड़की वश में करना शादी में खटपट
शौहर बीबी की अनबन औलाद किया धरा भूत प्रेत सबका इलाज तत्काल आराम गारंटी
से वरना पैसे वापस और फोन नंबर भी ,लगभग सब अखबार ऐसे वर्गीकृत
विज्ञापनों से भरे पड़े हैं और दूसरा लुगदी साहित्य जो दिल्ली मेरठ
कानपुर बरेली से छपता है । हर बस स्टैंड पर गंदी किताबे बुकस्टाॅल पर मिल
जायेंगी आप कहानियां समझकर रेल गाड़ी में टाईम पास के लिये लेंगे और पटरी
पर ही फेंकनी पड़ जायेगी । दीवारों अखबारों पर दूसरी बड़ी जानकारी होती
है नामर्दी शुक्राणु शीघ्रपतन निःसंतानता बाँझपन कमजोरी यौनरोग का
शर्तिया इलाज ,मेरठ दिल्ली कानपुर अमरोहा जालंधर बरेली रामपुर तक सब के
सब खाली खंडहर दीवार मिल चौराहे पुल और पुराने भवन इसी नामर्दी का इलाज
करने के दीवार लेखन से भरे पड़े मिलते हैं । सरकार ने यदि दीवार लेखन पर
रोक लगायी है तो ये नंबर पता सहित लेखन पर काररवाही क्यों नहीं होती । कई
बार साथ में नवसाक्षर बालक जोर से रेलगाड़ी की खिड़की से पढ़ने लगते हैं
और आपको मुँह भींचकर उनको रोकना पड़ता है । न ही काले इल्म के माहिर इन
बंगाली बाबाओं के ऊपर कोई रोक टोक होती है । तीसरी चीज है हर नगर बाहर
प्रवेश द्वार पर ही टेंट झुग्गी टप्पर में बड़े बड़े पोस्टर डाले डेरा
लगाये हकीम जी ,वैद्यजी । इनके टेंट में कमर झुकाकर घुसिये तो भीतर
सैकड़ों पहलवानों फिल्मस्टारों के साथ फोटो मिल जायेंगे और ये लोग दावा
करेंगे कि इनको इलाज इस जड़ी बूटी से हुआ है । यहां भी नामर्दी बांझपन
यौनरोग और कमजोरी का पहला इलाज होता है प्रसूति रोग हाड़दर्द और बाद में
न जाने क्या क्या । इन पर न रोक टोक है न पूछताछ । हर नगरपालिका ने नये
फैशन के हिसाब से विशालकाय नगरद्वार बनवाकर उसपर उस काल के
नगरपालिकाध्यक्ष विधायक का नाम डलवाना भी शुरू कर दिया है और बड़े बड़े
होर्डिंग्स तमाम छुटभैये स्थानीय नेताओं के आजकल फ्लैक्स सुविधा हर जगह
हो जाने से एक और नया फैशन है
बीच रोड पर मजारें हैं ,बीच रोड पर नमाजें हैं ,कांवड़ों के जुलूस हैं और
जाम हैं ,अचानक आपकी गाड़ी पर कोई पत्थर आकर लगे तो ब्रेक मत लगाना ,चलते
जाना तेज रफ्तार से ,ये कोई नाबालिग लुटेरों का गिरोह भी हो सकता है
विशेषकर छोटे गांवों कसबों और खेतों के पास मत रुकना। डिवाईडर की जगह
,रेलपटरी और नवनिर्माणाधीन कालोनी ,पर भिखारियों और शौच करने वालों के
कब्जे हैं सुबह शाम यह सिलसिला जारी है ,,,,,,...,,,,,,(क्रमशः)
#CMYOGYAAdityanathji
©®सुधा राजे

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