Monday 10 November 2014

सुधा राजे का लेख :- " दिखावा या प्रेम???"

दैहिक संबंध बनाना अगर प्रेम होता तो हर ग्राहक से वेश्या को और हर भोगी
हुयी कालगर्ल या वेश्या से "वेश्यागामी पुरुष को "प्रेम? होता ।
मनुष्य होने के अपने बंधन और अपनी स्वतंत्रतायें हैं जिनमें से एक है कि
कोई "मर्द ये नहीं चाहता कि मेरी पत्नी प्रेयसी और सहवासिनी को कोई दूसरा
पुरुष ""उस ""नज़र से देखे जिससे वह अपनी स्त्री को प्रेम करता और दैहिक
संबंध बनाता है ।
जब एक पशु कुत्ता बिल्ली गधा और सुअर सरेआम यौन संबंध बनाते हैं तो 'सभ्य
मानव ऐसी बातों से अपने अबोध बच्चों और परिवार की स्त्रियों लङकों तक को
अलग रखना चाहता है ।
कारण है ""यौन व्यवहार संक्रामक उत्तेजना फैलाता है औऱ दूसरे प्राणियों
के यौन व्यवहार असमय ही उन लोगों में भी यौन उत्तेजना ला देते है जो अभी
सेक्स करने जोङा बनाने की स्थिति में नहीं हैं ।
जरा सोचकर देखें कि ''यौन बुभुक्षित आपराधिक सोच वाले कितने ही लोग आसपास
मँडरा रहे हों तब "एक जिम्मेदार पुरुष क्या अपनी पत्नी या प्रेयसी के साथ
प्रेमालाप कर सकता है?
क्यों नहीं?
क्योंकि वह समझता है महसूस करता है कि वह जो जो कुछ व्यवहार पत्नी या
प्रेयसी के साथ करता है वह सब "वे दर्शक बुभुक्षित तमाशबीन आपराधिक सोच
वाले लोग "कल्पित करने लग सकते हैं खुद के लिये ',
यह
सुनने पढ़ने लिखने में खराब लगे पर सच कङवा होता है ',।
जो भी सचमुच आजीवन प्रेम और विवाह निभाना चाहता होगा वह पुरुष कभी अपनी
स्त्री को दूसरे पुरुषों के सामने यौनव्यवहार से प्रदर्शित नहीं करेगा ।
बल्कि वह एकान्त खोजेगा और दूसरे नरों से छिपाना चाहेगा अपनी प्रेमिका
अपनी स्त्री को ।
अनेक बार "स्त्री में यह प्रदर्शन आ जाता है
"He is my man "
और वह अपने पति या प्रेमी से एकांत की बजाय भीङ औऱ समूह में कुछ नटखट
प्रेम प्रदर्शन भले ही दिखाने लगे ।
किंतु "विवाह और परिवार बसाने के प्रति गंभीर पुरुष शायद ही कभी दूसरे
किसी नर "के सामने अपनी पत्नी प्रेयसी को "यौन व्यवहार से दिखाना चाहे '
क्योंकि वह कभी नहीं चाहता कि वह जिस नजर से उसे देखता है जो जो कल्पनाये
करता है जैसे नाते है वैसा कुछ "कोई अन्य पुरुष उस लङकी के लिये सपने तक
में सोचे '।
इसलिये
ये किस हग और लव के आम प्रदर्शन रिसर्च के विषय हैं कि ""अगले वेलेन्टाईन
डे तक टिकेगें?? या
प्रायोजित जोङे बनाये गये?
भोजन वस्त्र आवास की तरह ही "प्रेम और सेक्स भी मानवीय जरूरत है "
किंतु जिस तरह हर "अभावग्रस्त गरीब हलवाई की दुकान की प्लेटें नहीं चाटते
फिरता 'जैसे झोपङी वाले बंगलों में हल्ला बोल नहीं कर देते न दरिद्र
कपङों की दुकाने लूट लेते हैं 'वैसे
ही ।
प्रेम के अभाव में भी मानव पशु नहीं हो जाता न ही सेक्स ही प्रेम का
अनिवार्य हिस्सा है 'वरना '
वर्तमान जितने भी परिवार हैं उनमें से आधे से अधिक तत्काल बिखर जायें ।
और वे जोङे एकदम अलग हो जायें जिनमें स्त्री या पुरुष कोई एक दैहिक
असमर्थता के के शिकार हो गये या किसी कारण एक दूसरे से दूर दूर रहते हैं

प्रेम को "व्यक्त करने का आखिरी स्तर यौनसंबंध है किसी के लिये तो कोई
"दैहिक संबंध होने की वजह से प्रेम कहता है ।
मानवीय मन की जटिल संरचना में यह भी विचित्र सत्य है कि अनेक परिवार ऐसे
जोङों के हैं जिनमें जरा भी प्रेम नहीं ।फिर भी कर्तव्य निभाते सारा जीवन
साथ रह लेते हैं । और दूसरी और ऐसे भी जोङे है जिनमें प्राण लुटाने जैसा
प्यार है किंतु यौन संबंध नहीं रहे कभी ।
या बहुत जल्द सदा को खत्म हो गये ।
यौवन पंद्रह से पैंतालीस या पचपन तक की सीमित अवधि का काल है किंतु जीवन
तो सौ साल से भी ऊपर हो सकता है ।
विवाह पच्चीस ले तीस के आसपास ही अकसर लङके लङकियों का होता है ।
तो क्या पंद्रह से तीस 'और पचास के बाद के सौ साल तक के बीच की अवधि के समय "
वह जीवित न रहेगा?
जोङा तोङ देगा?या साथी से नाता तोङ लेगा?

ये "प्रेम प्रदर्शन के नाम पर "राजनीतिक नुमान्दगी से अधिक कुछ नहीं ।
बेटा बहिन बहू पौत्री दौहित्री भाञ्जी भतीजी सब प्रेम करने को स्वतंत्र हैं किंतु
"हर संरक्षक कोई गुलाम नहीं कि पाले पोसे पैसा कमाकर लगाये पढ़ाये लिखाये
सब करे "किंतु 'युवा होती है छुट्टा छोङ दे किसी के साथ भी 'दैहिक संबंध
बनाने को???
यह भी मालूमात न रे कि वह लङका कमाता क्या है कल को बीबी बच्चों को कहाँ
रखेगा क्या पहनायेगा खिलायेगा और कब तक??????
चुंबन
अगर प्रेम का हिस्सा है तो प्रेम सेक्स का और सेक्स का परिणाम संतान
परिवार कुटंब की जिम्मेदारी है जो "नाता स्थायी न हो उसके दम पर परिवार
नहीं बसाया जा सकता "।
और जो प्रेम परिवार क्रियेट नहीं करता 'अभिभावकों को परिवार में शामिल
नहीं करता वह "आवारा पशुओं के सेक्स स्वछंदता के प्रदर्शन से अधिक कुछ
नहीं ।
जितने जोङों ने सङक पर चुंबन लिये क्या वे "स्थायी जोङे हैं? या ऐसी
भावना है? शोध का विषय है ।
यौन व्यवहार जोङे के नितांत निजी एकांत की चीजें हैं ।
क्योंकि कोई सच्चा साथी कभी दूसरे को अपने साथी पर "नजर डालता उस नजर "से
कभी पसंद नहीं कर सकता ।
copy right ©®Sudha Raje



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