Tuesday 27 May 2014

सुधा राजे का लेख - सती प्रथा का विद्रूप चेहरा ।

कई दशकों से
""मथुरा ""वाराणसी ""और """कुछ
बरस पहले ''''हरिद्वार """
में""""प्रयाग """और देश के
गंगा यमुना सरयू गंडकी """के किनारे
बसे तीर्थों पर """""
गंगावास
और अंतमुक्ति के लिये """"घरों से फेंक
दी जातीं """"बूढ़ी औरतें """"
क्या कभी इनके लिये ""सेनेटोरियम
या ओल्ड एज होम या नर्सिंग होम
की तर्ज पर होस्टल
जैसी व्यवस्था """""नहीं की जा सकती??
ये औरतें ""खाते पीते
घरों की महिलायें होतीं है """
क्या उनकी प्रतिव्यक्ति जानकारी करके
उनकी संपत्ति के वीरिसों से """"उनके
सेहत इलाज और आवास """का व्यय
नहीं वसूला जा सकता """"?????
तीर्थों पर विधवाश्रम वृद्धाश्रम
और होस्टल जैसी सुविधा देकर
वहाँ इन ""बूढ़ी बेबस ""महिलाओं
को अंतिम समय के साल महीने सुकून से
काटने का इंतिज़ाम
नहीं किया जा सकता???
यूपी और उत्तराखंड के तीर्थ
""""""तमाचा है """"भारतीय
"""मातृदेवो भव की संस्कृति पर
""""""
अब तक शासन कर चुके दलों के विचार
और क्रियान्वयन पर ""

यह हरिद्वार की ही कलंक गाथा है
जहाँ ""सत्तर साल की वृद्धा से बत्तीस
साल के दरिंदे ने हर की पौङी के करीब
रेप किया ""

हमारा सोचना """दूसरा है """हम
हिजङों नपुंसकों महिलाओं
"""किसी की प्राकृतिक
कमी बेशी को """गाली ""नहीं बनने
देना चाहते ""रजिया बहिन हम साथ है
''हर भले कार्य के लिये
""हमारा नज़रिया प्रतिशोध
नहीं रचनात्मक सकारात्मक चिंतन
को बदल कर रख देना है """हर दिल तक
हर जरूररत मंद का दर्द जगाना है

गाली का उत्तर """गाली देने वाले
की आत्मा को झिंझोङने से
ही पूरा वरना माँ बहिन
बेटी जनानी और नपुंसक
होना तो """"मर्दवादियों ने
गाली बना ही डाली है ''

ये प्रथा """कैसे बंद हो कि लोग
बूढ़ी विधवा औरतों को ""गंगावास
तीरथ मुक्ति भेजना ही बंद कर दें?? एक
निदान विधवाश्रम है
तो दूसरा """समाज ""में
विधवा को सम्मानित जीवन
दिलाना भी


ऐसे """परिजनों को जेल में डाल
दिया जाकर मुआवज़ा और जुरमाना वसूल
करके विधवाश्रम बनाने को पहल
करनी चाहिये जो ""बेबस विधवाओं
को """घर से निकालने को धरम की आङ
लेते हैं """"जो उनकी संपत्ति तो हङपते हैं
""रोटी कपङा मकान नहीं देते """"कङाई
से गाँव कसबे थाने से सूचना निकालकर
"""""हर घर जमीन संतान परिवार
वाली "विधवा ""को इंसाफ
दिलाया जा सकता है और जब हजार लोग
दंडित होगे तो ""एक लाख लोग
गलती सुधारेगें
ये विधवायें """मालिकिन से
भिखारिणी """बना कर छुटकारा पाने
वाले सामाजिक भलेमानुष
का मुखौटा लगाये लोगों को पकङ कर
सार्वजिक नाम अखबार मीडिया नगर
पालिका ग्राम पंचायत थाने से ज़लील
किया जाना चाहिये ऐसे ""भेङ की खाल
में भेङियों को ""राज्य और केन्द्र सरकारें
ऐसी प्रथा को सती प्रथा से जोङकर देखें
और ""कठोरता से बंद करायें """बंगाल
बिहार उत्तरी और पूर्वी भारत '''में
अभी तक कई परिवार ऐसी भीषण
मनोरुग्णतावादी कुप्रथा पाले बैठे है
कि सती नहीं कर सकते तो ""तीरथ पर
फेंक दो अभागी को """

क्राईम का जहाँ तक सवाल है """""सबसे
ज्यादा अपराध ''''दैहिक सांपत्तिक
मानसिक आध्यात्मिक परंपरात्मक
"""""लैंगिक """"महिलाओं पर होते हैं
""""चाहे घर हो स्कूल हो बस ट्रेन
ऑटो गाँव नगर महानगर और
या वेश्यालय पब बार डिस्कोथेक
नाईटक्लब कैसीनो होटेल मॉटेल
कोठा कोठी महल झोपङी मंदिर सराय
दरगाह कुछ भी """"""""किसी भी आयु
की स्त्री गर्भ से लेकर अंतिम साँस तक
""""""""अपराध की शिकार


वह तो है ही """""किंतु इस ""स्टेटस
का मकसद """तीरथ स्थानों पर व्याप्त
"""घोर ""पाप पर सरकार जनता और
बुद्धिजीवियों का ध्यान खींचना है
"""""
तलाकशुदा औरतें """"भिखारिणी नहीं है
तीर्थों पर """उनकी समस्या घरेलू है ।
सामाजिक है ।
विधवाओं का तो यौन शोषण तक होने के
खुलासे हो चुके हैं ।
दो जून के भोजन के लिये ये विधवायें चार
बजे हर दिन हर मौसम में नहाकर मंदिर
मंदिर गाती हैं ।
तब लंगर की खिचङी और प्रसाद
मिलता है । वह तो है ही """""किंतु इस ""स्टेटस
का मकसद """तीरथ स्थानों पर व्याप्त
"""घोर ""पाप पर सरकार जनता और
बुद्धिजीवियों का ध्यान खींचना है
"""""
तलाकशुदा औरतें """"भिखारिणी नहीं है
तीर्थों पर """उनकी समस्या घरेलू है ।
सामाजिक है ।
विधवाओं का तो यौन शोषण तक होने के
खुलासे हो चुके हैं ।
दो जून के भोजन के लिये ये विधवायें चार
बजे हर दिन हर मौसम में नहाकर मंदिर
मंदिर गाती हैं ।
तब लंगर की खिचङी और प्रसाद
मिलता है ।

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