संगठन गीत: :::साहस की निर्झरिणी सेना

हुंकार जले ,फुंकार दले ,अरि मार चले करणी सेना !
वीरों का बल ,अति शौर्य प्रबल साहस की निर्झरिणी सेना !

(1)
उत्तुंग शीश, गज सिंह पीस,  भुजदंड भार, अरिबल निवार
खल डरे डरे, सत अभय करे, सौगंध राष्ट्र , अनुबन्ध राष्ट्र
निर्बल हित  बल भरणी सेना.....................

(2
भू हित  विराट्, चंदन ललाट,  जग  राजपाट, रक्षार्थ बाट
जिस ओर चले, झकझोर दले, कामी कुमार्ग, दें त्याग मार्ग
दुख जन्मभूमि हरणी सेना...........

(3
थाती अपार, मरुधरा पार, पुरखों की आन,  कुल वंश मान
शतकोटि वीर ,नभ धरा चीर, संगठन मंत्र, हित लोकतंत्र
जन दुख अपार धरणी सेना.......

(4)
हे वीर उठो, संगठित जुटो, आए सियार नरसिंह द्वार
त्यागो प्रमाद, कर घोर नाद, हो लक्ष्य एक, बल में विवेक
संघर्ष विजय तरणी सेना.........

(5)
दीनार्थ दान, विद्यार्थ  मान, जनहित सुधार, भू हित प्रहार
सर्वस्व त्याग निज राष्ट्रयाग, हे वीर बढ़, नभ चीर बढ़ो
भय हरे अभय वरणी सेना

(6)
जै करणी मां, दुख हरिणी मां, जय एक लिंग, हों विजयी सिंह
श्रीनाथ वरे, रघुनाथ हरे, काली कराल, बद्री विशाल
व्याकुल हित पुष्करणी सेना.......
©®सुधा राजे







©®सुधा राजे

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