ग़ज़ल:न तो तूने ही कहा था

sudha Raje
ना तो तूने ही कहा था ।
ना तो मैंने ही कहा ।
फिर मुहब्बत कैसे हो गयी ।
कैसा तुझसे राबिता ।
लफ़्ज़ तक लब पै नहीं आय़ा
कभी उल्फ़त का था ।
फिर मुहब्बत कैसे हो गयी
कैसा तुझसे राबिता ।
-****
आय़ा खुशियाँ बाँटने
था दर्द
देकर चल दिया।
हल्दियाँ थी या लहू
था हाथ पै
जो मल दिया ।
मैं तो रोयी थी बिछुङकर

तू था रोया क्यों बता ।
फिर मुहब्बत कैसे
हो गयी कैसा तुझसे
राबिता ।
©®
****
पेशबीनी foresightहम समझते
थे जिसे ,तक़दीर थी।
पेशबंदी cautionहद से
ज़्यादा ,पैक़र-ए-ज़ंजीर
थी।
पेशकश
proposalतेरी सही थी या
फिर मुहब्बत कैसे
हो गयी कैसा तुझसे
राबिता ।
वो ज़िगर सोज़ी heart
brokenहमारी,हमने कैसे
की ग़ुज़र।
चर्ख़े-अतलस paradiseसे
निकल
देज़ूर-ए-आतश the fire in dark
night हुब love हज़र stone
तुझको जब ना भूल पाये
खुद से हो गये लापता
फिर मुहब्बत कैसे हो गयी
कैसा तुझसे राबिता ।
तू कहाँ है मैं कहाँ हूँ
दरमियाँ सदियों के ग़म ।
है यकीं तुझपे मगर ख़ुद पै नहीं
अल्ला रहम ।"
शाहे-ख़ावर तुम हो औऱ्
टूटा सितारा मैं ""सुधा""

फिर मुहब्बत कैसे हो गयी ।
कैसा तुझसे राबिता ।
©®¶©®
Sudha Raje
Dta/
सुधा राजे
सुधा राजे ।
Sudha Raje
Apr 10 ·

Comments