सुधा राजे :-गूंगे रुदन , जंगली गीत ,SUDHA RAJE :- Wild song, dreamy fly ; drenched verses , mute cry
Sunday 2 March 2014
कविता:- भरा फिर खेत में पानी
भरा फिर खेत में पानी
है पगडंडी पे अब दलदल
।
हुयी कमबख़्त बारिश
भी किसी नेता की रैली है ।
खङी है ईख की फसलें मिलों के छल कपट
चलते ।
डरी बाली है गेहूँ की
फ़सल आमों की मैली है ।
©®सुधा राजे
Dta-Bjnr
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