Thursday 13 March 2014

गीत :- एक जनीं सें बस्ती नात सुहानी ।

Sudha Raje
अम्माँ मर गयीँ जब सेँ
बापू रै गये निपट अकेले ।

डिङक हिलक के कै रये
बिन्नू!!!!को जौ जीबौ झेलै
बिन्नू को जौ जीबौ झेले!!!!


1-जौँ लौँ अम्माँ जियत रहीँ बाबूजी की चलती रयी ।

डाँट पङी अम्मईँ पै चाँयेँ
कोऊ करी गलती रयी ।

अब कै रये पछता कैँ
हमखौँ काय न भेजौ पैलै

बिन्नू को जौ जीबौ झेले ।

2-अम्माँ डाँठेँ रयीँ थुमियाँ सीँ
ठाट बङेरे घर के ।

इत्ती तनक कमाई , 'जोरी
मुलक गिरस्थी मरकें

बाबूजी तब पी पी दारू
खूबई रुतबा खेलेँ

बिन्नू को जौ जीबो झेले ।

3-लरका बऊ ने
कब्जा लओ अब मड़ा
""पौर में बैठेँ ।

अम्माँ खौँ गरिय़ाऊत्ते
बैई " बऊ की सुन सुन ऐंठे ।

नातिन कै रयी टोकत कित्तौ
डुकरा "कितै पहेलेँ ।


बिन्नू को जौ जीबन झेले

4-"सुधा "आयीँ बिटियाँ सो हिलके
जे-ई लगत तीँ खोटीँ ।

बेई सुना गयीं भज्जा खोँ
""कये दै रओ सूकी रोटी???

बिटियन के डर सेँ भौजैयाँ
पथरा मुडीँ ढकेलें

बिन्नू
को जौ जीबौ झेलेँ

5-अम्माँ हतीँ दबाउत गोङे
मूँङ पै चिकनई धरतीं

नग- नग दुख रये
गोली खा रये ।
नतबऊ ढूँक पबरतीँ।

सबखौँ भाबई लगे पैन्शन
मिल रय़ी जाये सकेलेँ

बिन्नू को जौ जीबौ झेले ।

6-अम्माँ हतीँ मिलत तीँ चुपरी ।
बई पै टाठी फेँकी ।

कौनऊ परी विपत् अम्मईँ ने
झखरा बन बन छेँकी।

जई सेँ ""सुधा"" जोर कर कै रयीँ ।
घरवारी सँग रै ले

बिन्नू को जो जीबौ झेले?

7-ज्वानी परैँ उरद गर्रानी
ज्वार मका मरदानी ।
परैँ बुढ़ापौ एक जनीं सें
बस्ती नात सुहानी ।

कर लो कदर घरैतिन की बौ
टेक टौरिया ठेले ।

बिन्नू को जौ जीबौ झेले
??? ©®¶©®¶
Sudha Raje

(बुंदेली बोली में एक सत्य चित्रगीत)

No comments:

Post a Comment