Wednesday 10 April 2013

हाँ हम डंके की चोट पर भारत को असभ्य कहते है।

हाँ हम डंके की चोट पर भारत
को असभ्य कहते हैं हम
आधा भारत
जिसको न घर न अपने आप
की इच्छा से जीने का हक न
सुरक्षा कैसा देश!!!!!!
पराया धन कह कर पाला पराये
घर आकर कहा जाता है
क्या तेरे बाप का घर है???
वंश तुझसे नहीँ चलेगा । और
जिस घर का वंश चलाती है
वहाँ सुनती है
क्या तेरे खानदान में
ऐसा ही होता है
दो साल से सत्तर तक
की स्त्री को किसी भी आयु
का पुरूष माँस की तरह भँभोङता है
और जब सजा की बात आती है
तो लेखक वकील पत्रकार spur
of moment crime कह देते हैं
नाबालिग रेप हत्या कर सकता है
सजा नहीँ होगी
तेजाब फेक देते है लङकी अगर
पटी नहीँ तो रेप
नहीँ रेप का मौका लगा तो तेजाब
औरत का हर जगह गालियों में
साले
ससुरे
हरामजादे
से
होकर शुरू हर तरह जलील प्रयोग
हँसी मजाक
पतिव्रता पत्नी सीता भाभी चाहिये
लेकिन
राम की तरह जरा सा सामाजिक
अपवाद सहने की क्षमता नहीँ
औरतों का कोई मुल्क नहीँ है
वे पिता के घर पति के घर पुत्र के
घर रहती हैं
अकेले रहने वाली औरत को नोचने
वाले हर तरफ बचाने वाले
कंकणों में बिखरी मुट्ठी भर दाल
Mar
25 · · Mar 26
Sudha Raje
हमें हमारी तरह जीने दें
रेप छेङछाङ गाली तेजाब फिकरे
अपहरण बदनामी दहेज भ्रूण
हत्या घरेलू हिंसा
पढ़ने न देना
जबरन पढ़ाई
नौकरी हॉबी छुङवा देना
स्त्री सूचक गालियाँ
बंद करो
औरतें अपने आप में सुखी है और
प्रसन्न।
जिसे देखो औरत पर भाषण
बाजी!!!
मर्दवादी!!
मर्द के जाये हो तो मर्दों पर
लिखते बोलते घिघ्घी क्यों बंद
हो जाती है???
नौकरी सरकारी चाहिये
लेकिन
सरकारी अस्पताल ।
सरकारी स्कूल । सरकारी राशन
नहीं???
क्यों??
क्योंकि हर
चौथा सरकारी कारिंदा काम
नहीं करता बिकाऊ है औऱ ऱिश्वत
माँगता है ।
पाँच सौ रुपये
वाली लङकी पढ़ाती है पब्लिक
स्कूल में जमकर । लेकिन तीस
हजार पाने वाले सरकारी मास्टर
के पढ़ाये बच्चे हिंदी में रसोई के
सामान की सूची औऱ
इमला नहीं लिख पाते
आठवी तक??
हमें दीजिये दस महीने हम पढ़ाकर
बताये कि शिक्षक खा रहे हैं नीव

लोग कहीँ भी मूतने खङे हो जाते
है।
कहीं भी थूक देते है ।
किसी को भी माँ बहिन
बेटी की गाली देते है
नेता संसद विधान सभा में
गुंडों की तरह चीखते हैँ।
बीबियों पर मारपीट को जायज
माना जाता है।
बेटी कत्ल करना स्वीकृत है ।
योग्य लङकी दहेज के लिये
नालायक मार डालते है
तेजाब फेंकना मरदानगी है।
औऱ रेप होने पर
लङकी को पापी मानकर कोई
अपनाता नही। औऱत के बिस्तर
पर चढ़ने को सब तैयार मगर
विधवा तलाकशुदा रेप विक्टिम
और बिना दहेज की शादी को कोई
तैयार नहीं ।
चुराकर प्रेमी मिलते है। शादी कर
लें तो नाक कटती है।
लङकी का पैदा होना दुख देता है
सभ्यता अर्थ है शांति विश्वास सुरक्षा सम्मान और सृजन को अवसर व शोषण से मुक्ति ।
©®Sudha Raje

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