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जंगली हैं हम

कृपया शेयर करें , , धरती का ऋण ,कुछ तो हों उऋण  .......... सुधा राजे , ********* वर्षोत्सव व्यर्थ न जाये आओ फलदार वृक्ष लगायें  <><><><><><><><><><><><><><><><><><> आज का वृक्ष  बेल  विल्व  विल्वम्  ................ यह एक इकलौता ही वृक्ष है जो अति प्राचीन कालीन वृक्ष होकर भी अपनी प्रजाति का एक ही रूप है । हालांकि "कैंथ"और जमालघोंटा"भी लगभग ऐसे ही फल होते हैं परंतु उन पर बाद में चर्चा करेंगे ।बेल का हर अंग एक औषधि होने से इसे पूजन और शिवाराधन में अनिवार्य माना गया है । कहते हैं कि बेलवृक्ष घर के उत्तर पश्चिम में लगाने से यश और दक्षिण पश्चिम में लगाने से लक्ष्मी बढ़ती है । विल्व का गूदा हवन में करने से भी श्री और शिव को प्रसन्न किया जाता है । त्रिपत्री के एक सौ आठ या एक हजार आठ पत्र शिव पर चढ़ाने का भी विशेष महत्त्व है ।सावन में तो और भी अधिक क्योंकि शिव के ही  होते हैं ये चतुर्मास । बेल के आसपास सर्प नहीं आते ऐसा मानते हैं जबकि रातरानी पर आते हैं ...

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