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१. लड़कियों वो घर जला दो 
२. खुले गली के भाग 
३. दर्द को दीवार पे लिख दूँ तो ये गिर जाएगी 
४. सोच  के देखो गाँव जला घर कैसा लगता है 
५. ऐसा मेरा शहर है साहिब 
६. तुम नहीं लिख पाओगे मेरी कहानी 
७. अव्वल ये हर्रामखोर हैं 
८. एक सांवली लड़की ने खत सांवरिया के नाम लिखा 
९. चंडी की उस नदी में प्रतिबिम्ब चन्द्रमा का 
१०. माचिसों में आग से ये तिलमिलाती लड़कियां 
११. अरे बावले क्यों रोता है 
१२. हाँ मैं तेरी एक रचना हूँ सरल रस वेदना 
१३. अब भी सहरा में आंसुओं की नदी बहती है 
१४. बिटिया हरखुबाई की \
१५ वो बदनसीब औरत हर रोज़ जल रही है 
१६. बच्चे ज्यों ज्यों हुए सयाने चीयर पुराने अम्मा 
१७. बापू रह गए निपट अकेले 
१८. रोरी हल्दी धार टिका 
१९ वक़्त कोई और था ये वक़्त और है 
१२. भून दो गोली से ये तलवार से संघार दो 
१३. वो सूखी डाल पे नन्ही कली 
१४. छीन लेगी कफ़न के तर ठहर दुनिया है 
१५ भूख जब हो गयी मुहब्बत से बड़ी ा 
१६. मैं अपने आप से मिलती गयी दिल टूट जाने से 
१७. उल्फत उल्फत छलक रही थी 
१८. पेट में बच्चा नहीं बाबू किसी का पाप है 
१९. रोने वाला क्या जानेगा  वाले कैसे हैं 
२०. हां हाँ मर जे श्याम पुतरिया जिन खोलो 
२१ जोगी रे काको पंथ निहारे 
२२ जारी जा री  कोकिल 
२३ मुझे जाने दो प्रिय 
२४. सांवरे सांवरे ो मेरे सांवरे 
२५. हमने मंगाई कलम स्याही और थोड़े से रंग पिया 
२६ यार तुम्हे जो कहीं ज़िन्दगी मिल जाये ये लो मेरे घर की चाभी दे देना 
२७. टुकड़े तिनके रेज़ा रेज़ा आइना 
१८ वक़्त ऐसा भी कभी आता है आइना हंसी उडाता है 
१९ क्या करेगा आसमा ले अब परिंदे दर गए 
३० बेतिया पढ़ने लगी हैं 
३१. स्वक्षता देवत्व की पहली निशानी 
३२ ऐसे अनुसन्धान रचो 
३३ लाये गुलाल तक रओ रे गाल 
३४ कृष्ण भी तू पार्थ भी तू जीत है तय युद्ध कर 
३५ ग्राम वासिनी हम गंवार बाबू जी समजे गली है 
३६ गाँव मेरा हो गया बीमार बाबू क्या करें 
३७ पढ़ना सुन्ना आता हो तो पठार पत्थर बोलेगा 
३८ एक हवेली दिल सी खली 
३९ दर्द को दीवार पे लिख दूँ तो ये गिर जाएगी 
४० जाने किस्से मिलने आती सार्ड हवाएं रात गए 
४१ चंदा के बहाने से आपको निहारते 
४२ लिखी हैं वक़्त ने सौ सौ किताब चेहरे पे 
४३ जब बस्ती के छोर पे कोई घर वीरान सिसकता था 
४४ भेंट में ले जाईये सर्कार कच्ची चूरिया 
४५ क्रोध ये अदम्य हो चूका सुरम्य हो तो क्यों 
४६ चन्द्रमा मिलता नहीं 
४७ वो इक नन्ही सी लड़की है जो मुझसे मिलने आती है 
४८ नट नयन निस्तब्ध नीरव मूक मानव मन पुकारे 
४९ इक सिसकती सी ग़ज़ल 
५० मेरे चेहरे पे चमकता नकाब रेने दो  
५१ . न कुछ भी याद करने को न कुछ फरियाद करने को 
na main aa sakoon na bula sakoon
sooni meri haweli aa ja
khand khand ho chuka mera astitiva
meri beti tujhe ghar chhor ke jana hoga


 



















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