Sunday 16 September 2012

नीले सुरमई अक्षर-अक्षर गीले भीगे गीत

स्वर्ण भोर हीर की दोपहर
मदिर सुरमई शाम,
मणि मन चन्दन तन 
घन कुंतल सब तेरे घनश्याम 

मुक्त अश्रु, हास नवरतनी
छीजे पद्म-राग रस चुनरी,
मूंगे अधर, फटिक नख-शिख ये,
नयन दीप कंचन तव डगरी

किन्तु कहाँ तुम जहाँ
भेज दूं सारावली सन्देश,
तिर्यक चन्द्र चन्द्रिका सिसके,
गीले तुहिन प्रदेश

पीर प्रतीक्षा, शीत वादियाँ,
श्वेत ठिठुरती प्रीत,
आश हिमालय, हिम-ही-हिम
गूंजे विरहा का गीत

कस्तूरी मृग प्रणय न खोजे
प्रिय परिमल का स्रोत
गह्वर गहन छिपा निर्जन वन
तनहा मिलन कपोत

कहीं दूर बिछुड़ा पंखी
पिऊ करता छाती चीर
कुहू गूंजता सन्नाटे में
किसे पुकारे कीर ??

अनजाने अनगिन प्रवास पर
वय यायावर हाय,
साँवरी सुधि हुई निपट बावरी,
साँवरिया ना आए 

नयन पलक जल पनघट सपने
कलश डुबोते रोज़
अजपा 'पी-पी' रटे स्वाँस हिय
स्वजन प्रणय की सोज

थके उनींदे हार चले रंग
पाँव प्रतीक्षा छूट,
दो बाहें दो नयन रो दिए
उम्मीदों से रूठ

 घायल मोहन मानसर हंसा
जरे पंख मृत गात
आये ना मानस श्याम चम्पई
रात सिसकती वात 

चटख जली इक चिता 
सो गयी मंदाकिनी तट वाम
आये न घन, ना श्याम , न चैना
हुई साँस की शाम 

प्रणय वधु ढो रहा, थका
ये मन कहार वन-पंत
कहाँ बसे सांवरिया साजन ?
कहाँ वीथि का अंत ??
पीर बसीठी अश्वारोही,
परिकल्पित अविराम
पत्र-पत्र नित नील सुरमई
लिखे श्याम के नाम 

सुधा-सुरा विष वारुणि पीती
शब्द चषक हर शाम
गीले-भीगे गीत श्याम ये
सभी तुम्हारे नाम



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