उजड़े मन गत गेह से ,देव रचे संसार सुखी गृही संतुष्ट जन केवल हित परिवार नानक दीन्हो शाप यूं ,उजड़ें भद्र निवास बसे रहें कटु मन सदा ,सद्जन जगद्प्रकाश ©®सुधा राजे ©®सुधा राजे
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