पता नहीं प्रेम की इतनी प्यास कहाँ से आयी देह खत्म हो गयी हो गया खत्म संसार
कैसे समायेगा परंपरा के बाजार में
भीष्म और अंबा
जैसा मेरा अनछुआ प्यार
कहानी
में फेर बस इतना है
इस बार
अंबा को भीष्म के हाथों मरना है
और प्रतिज्ञा नहुष वाली
देवव्रत प्रण अंबा ने किया
व्यास कैसे लिखेगे ये कलिजय
गाथा
प्रेम की हाहाकारी प्यास चरम नाद पर अनूठा रस बन जाती है ये करतल घर्षण से उत्पन्न आग है
सुधा यूँ ही तो मृत्युलोक से परे रही
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Sudha Raje
दतिया
Saturday 23 March 2019
गद्यकविता: ::::.....~अस्पर्श्य प्रेम
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