Sunday 31 March 2019

गजल: बहुत खुशहाल लोगों से जरा सी दूरियाँ अच्छीं

बहुत उजले मकानों में रहे लोगों से क्या शिक़वा
वो कोयले की खदानों से निकलना कैसे समझेंगे
.........वो दिल का टूटना दुनियाँ का जलना.....कैसे समझेंगे
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बहुत खुशहाल लोगों से जरा सा दूरियाँ अच्छीं
बिना नाखूं जलाए ज़िस्म जलना कैसे समझेंगे
©®™सुधा राजे

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