Sudha Raje
मेहनतक़श की हिम्मत
ही ज़ागीर
बनेगी नेता जी
मज़दूरी तो इब तेरी तक़दीर
बनेगीं नेता जी
कामचोर तू है ज़नसेवक
नमकहरामी तू करता
तुझे बाँधने को घर घर
ज़ंजीर
बनेगी बनेगी नेता जी
ये किराये के गुंडे चमचे
जो तेरी जूठन पलते
हम किसान मज़दूर खनिक
कारीगर है दीपक जलते
चिंगारी हर गली सङक
तदबीर बनेगी नेता जी
मेरे नौनिहाल पलते है हाथ
पाँव आरी लेकर
खून हमारा रँग लायेगा फूल
को फुलझाङी देकर
नन्हें हाथों छैनी अब
शमशीर बनेगी नेता जी
ये आधा संसार
हमारा लिये कुदाली सुई
धागे
लिख देगें बखिया के टाँके
अब घर घर चूल्हे जागे
रूखी सूखी रोटी हलवे
खीर
बनेगी नेता जी
चिकने हाथ घूस लेते
हो हाय लगे सब जल जाये
जो ग़रीब का हक़ मारे
बद्दुआ लगे सङ गल जाये
कीङे पङें गिरे बिजली ये
तीर बनेगी नेता जी
खून सना इसमें गरीब
का महक रहा शोषण
भारी
चिकने कौर तुम्हारे मुँह में
और भूखी है लाचारी
सपना है सच लोकतंत्र
ताबीर बनेगी नेता जी
सुधा उठो तो एक बार
हुँकार कि धरती गगन हिले
चलो हाथ से हाथ जोङ
जनता जनार्दन हृदय खिले
गद्दारों की कब्र
जगी हुयी भीर
बनेगी नेता जी
Wednesday 20 March 2019
कविता~;:मजदूरी तो अब थारी तकदीर बनेगी नेताजी
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment