होरी~::है री अरी हे हरि
होरी का जुलूस आगे आगे जा रहा था बीच बीच में सफेद कपड़े जाली टोपी वाले ,काले बुरके ,कढ़ाईदार चादरों ऊँचे पाजामे वाले लोग जानबूझ कर तमाशा देखने घुस घुस पड़ रहे थे ..........अब कहीं रंग गुलाल छीटा न पड़ा तो बधाई बनती है नशे में हर्ष में नाचते छोकरों को ही न ,......वुजू बचाओ न ,तमाशा देखना है तो पचास फीट दूर से देखो ...फिर वीडियो भी बना रहे थे ......इसी बीच ये मीमभीम के बहाने कुछ लौंडे जिनकी न पूँछ है न सींग फिर भी हैं तो "ओही "बार बार अब होलिका जलाना बंद करो ,
अबे मूर्खो ,
भारतीयों में होलिका पुजती है जलाते नहीं ...उनकी स्मृति में हर्ष मनाते हैं कि बुआ हो तो ऐसी हो ....बाप हिरण्यकश्यप हो सकता है माँ पूतना किंतु बुआ नहीं ....इसलिए बच्चों को सबसे पहले माँ या पिता नहीं ......#बुआ कहलवाया जाकर पुए बाँटे जाते हैं ......क्रिश्चिनियटी में किसी को गाॅड मदर बनाने की परंपरा है ....भारत में बुआ ,निश्चित निर्धारित गाॅडेस मदर है ,फिर आता है माँसी का नंबर ......ये बुआ बहिन का अपमान नहीं .....सम्मान है ,
तुम लोगों को पता नहीं किंतु भाईदूज दो होती है ,
एक दीवाली के तीसे दिन ,
यमुना की स्मृति में ,
दूसरी हो रि दहन के तीसरे दिन ,
होली की दूज ,
जिसमें रंग का टीका पहले बहिन और बुआ ही लगाती है "लाल तिलक "तब रंग खेलते हैं ,
परंपरा भूल गए ,
विरोध याद रहा ??
बहिन बुआ ,
निरापद आयुष्मान चिरंजीव होने का वरदान माँगतीं देवी ,यानि दे ती है
बहिन तो फिर भी ""भात "माँगती है .
बुआ तो बस बड़ी या छोटी धात्री ही होती है बशर्ते वह भतीजे के बचपन में ससुराल के बंधन में न हो ।
तो
जब आग शांत हुई सबने सोचा होलिका बच गई ,होगी ,
प्रहलाद नहीं है ,
तभी एक बोली है !!!!है हरि ""है री !!
अहो आली ,है तो ,वह बालक है अभी जीवित है ,
क्योंकि बुआ ने अपनी अग्निशामक चूनरी से भतीजे को लपेट दिया था ,
तुम त्यौहारों को समाप्त करो ,,,,,,यही समाप्न तुम्हें समाप्त कर देगा ,
रह जाओगे कार्ड खोजते केक काटते मैसेज टकटकाते बस ©®सुधा राजे
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