विश्वगुरुकुलगीत
(मौलिक रचना....सुधा राजे)
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जय जगती लघु विश्व स्वरूपं, जय विज्ञान प्रबल तनये
सत्य गुणागर मेधासागर गुरुकुल ज्ञानकलालय हे
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विस्तृत वृहद विशाल सुवासित संवासित प्रांगण उज्ज्वल
हरित धरा सुमनाच्छादित वन उपवन द्रुमदल जल निर्मल
भवन दीर्घ उत्तुंग नवल तकनीक प्रबंधन रक्षक दल
स्वजन सहिष्णु सुहृद अभिभावक,विद्वद्अध्यापक मंडल
ग्राम्य सुरम्य विहंग शस्य श्री, धान्य चहूँदिशि मुक्त पवन
पंचतरंगिणि प्रान्त ,स्वर्ण हरिमन्दिर निकट सरल पुरजन
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शक्तिपीठ प्राचीन जलंधर निकट प्रतीचि हिमालय हे
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अनुशासित अनवरत असीमित अवसर विश्वव्याप्त पल-पल
लघुनिवेश परिवेश कुशल कौशल संचालित लक्ष्य अटल
एक अनेक हरेक मुमुक्षित ज्ञान समक्ष सुदूर सरल
त्वरित निदान, सुदान प्रदान समान संहिताकरण प्रबल
प्रतियोगी आयोजन योजन भोजन शयन यशोवर्धन
क्रीड़ा केलि सुमेलि गीत संगीत नाट्य अभिनय नर्तन
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प्रतिभा सृजन कला उन्नति नव अविष्कार लीलालय हे
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सघन चिकित्सा सुश्रूषा, संयमित संतुलित अध्यापन
उत्तरोत्तर प्रगति आत्मरक्षा सौॆष्ठव बल विज्ञापन
अतिसंवेदी, यंत्र, जटिल संयंत्र स्वचालित परिवेक्षण
बहुसंस्कृति, बहुवेश, बहुल संकाय भाष बहुसंप्रेषण
विश्वव्याप्त आदान प्रदानक व्यवसायिक आगम निर्गम
पंचसिंधु सतद्वीप नवोद्यम उद्यम आवागमन सुगम
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जनसंचार, यांत्रिकी, भेषज, गहन शोध, ग्रंथालय हे
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त्वमि लवली लवलीन गुणाश्रय विद्याश्रय ज्ञानालय हे
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सत्य गुणागर मेधा सागर गुरुकुल ज्ञान कलालय हे
©®सुधा राजे
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